खाद्य पदार्थों में बेतहाशा वृद्धि लगाम लगाए शासन-प्रशासन*

*सरसों तेल 180 प्रति लीटर रिफाइन 165 दाल 110 प्रति किलो लेने को मजबूर है मजदूर*

गोरखपुर। कोरोना संक्रमण महामारी की दूसरी लहर चारों तरफ त्राहिमाम त्राहिमाम मचाया हुआ है आम जनजीवन त्रस्त गया है आम व्यक्ति सही तरीके से जी नहीं जी पा रहा है दूसरी तरफ खाद्य पदार्थों के मूल्यों की बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है लगाम लगाने वाला कोई मौजूद नहीं है दुकानदार मनमौजी तरीकों से खाद्य पदार्थों सरसों तेल 180 रिफाइन 165 अरहर दाल 110 के रेट पर खरीदने को मजबूर है कोरोना संक्रमण महामारी बढ़ते ही प्रदेश सरकार ने सभी संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया था कि खाद्य पदार्थों कि मूल्यों पर बराबर निगरानी रखे कोई भी दुकानदार ऊंची कीमत मनमौजी तरीके से ना वसूल सके लेकिन सब कुछ हवा हवाई रह गया दुकानदार अपनी आदतों से बाज नहीं आते मौका देखते ही अपना काम शुरू कर देते हैं उन्हें कोरोना व आम जनजीवन से कोई सरोकार नहीं रहता है उन्हें केवल अपना जेब भरना आता है और वही कर रहे हैं अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं जब तक इनके ऊपर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी तब तक यह आम जनजीवन को तहस-नहस करने में लगे रहेंगे अपना जेब भरते रहेंगे।
एक तरफ लॉक डाउन एक एक हफ्ते के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बढ़ाया जा रहा है जिसकी वजह से छोटे दुकानदारों की कमर टूट गई है वह अपने घरों में कैद रहते हुये कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं लेकिन इनके रोजी-रोटी बंद की वजह से भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं छोटे दुकानदार अब मन बना चुके हैं दुकान खोलेंगे तो कोरोना के गाल में समा जायेंगे धरो में रहेगे तो रोजीरोटी के वजह से भुखमरी से भगवान के प्यारे हो जायेगे। सरकार जैसा निर्देश दे रही है उसका अनुपालन करते हुए अपने घरों में कैद रहते हुए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए धरो पर रह कर भूखों देह त्यागने को मजबूर हो रहे जब दुकान व रोजी-रोटी नहीं चल रहा है तो मजबूर हो कर घरों में कैद रहते हुए भूखे प्यासे शरीर को त्याग देना अच्छा होगा ऐसे बहुत सी जिंदगी अपने घरों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुये रोजी-रोटी के वजह से दम तोड़ रहे हैं जिनका सुधि लेने वाला कोई नहीं दिखाई दे रहा है आज ही खुदरा महंगाई दर 10:30 प्रतिशत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है प्रदेश व देश की सरकार को महंगाई दर को कम करने के लिए कारगर कदम उठाना चाहिए जिससे गरीब परिवार का रोजी-रोटी बंद रहते हुए भी सही तरीके से भरण पोषण का कार्य चल सके ।