पहले मंदिर के नाम पर घोटाला अब आपदा में अवसर तलाश रहे रमाकांत गोस्वामी!

माकांत गोस्वामी की घोषणा सिर्फ हवा-हवाई और सुर्खियां बटोरकर एक और घोटाला अंजाम देने की योजना ?

गोवर्धन। मन्दिर मुकुट मुखारबिंद के रिसीवर रमाकांत गोस्वामी ने इस कोविड महामारी को देखते हुए आपदा कोष बनाकर गोवर्धनवासियों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की घोषणा करते हुए राष्ट्रीय अखबारों में छपवाकर सुर्खियां बटोरने में कामयाब भी हुए। 18 मई 2021 के आगरा से प्रकाशित प्रमुख समाचार पत्र में इनकी घोषणा छपी भी थी। आज लगभग 20 दिन बीत जाने के बाद भी रिसीवर रमाकांत की घोषणा का क्या हुआ किसी को कुछ पता नहीं।
आज हम कुछ दिनों से अखबारों में पढ़ रहें हैं कि किस प्रकार इलाज के नाम पर निजी संस्थानों द्वारा ग़रीब-मजलूमों का शोषण किया जा रहा है। इस महामारी के दरम्यान गोवर्धन में भी कई लोगो की जान गई है। आज भी गोवर्धनवासियों को मथुरा-आगरा भागना पड़ता है जहाँ इलाज के नाम पर उनसे लाखों रुपये तक वसूल लिए जाते हैं।
द इम्पीरियल पब्लिक फाउंडेशन के अध्यक्ष रजत नारायण ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि एसआइटी थाना लखनऊ में संगीन धाराओं में दर्ज मुकदमा संख्या 10 सन 20 के मुख्य आरोपी रमाकांत गोस्वामी की इस घोषणा से कुछ वाज़िब सवाल खड़े होते हैं जिनका जबाव आप सबको उनसे पूछना चाहिए –
1. रमाकांत गोस्वामी ने रिसीवर नियुक्त होते ही वर्ष 2010 में सबसे पहले कई गुना ज्यादा कीमत पर घोटाला करते हुए अपने प्रियजनों को फायदा पहुँचाते हुए मंदिर के धन से अस्पताल बनाने के लिए ज़मीन ख़रीदी थी।
2. आज 10 वर्ष के लंबे अरसे बाद भी वो अस्पताल क्यों नही बना ??
3. आज अगर वह अस्पताल बन गया होता तो गोवर्धन क्षेत्र के लोगों तथा मंदिर के गरीब सेवायतों के परिजनों को इस महामारी में कितना लाभ पहुँचता।
4. इस मुश्किल घड़ी में क्या रिसीवर रमाकांत गोस्वामी ने सिर्फ अखबारों की सुर्खियां बटोरने के लिए ही यह घोषणा की थी ??
5. रमाकांत गोस्वामी इन फ़र्जी वायदों/घोषणाओं के जरिए उनके ऊपर हो चुके घोटालों में दर्ज एफआईआर की कार्यवाही से बचने की कोशिश कर रहें हैं ?
6. क्या रामाकांत गोस्वामी ने यह घोषणा अपने किसी घोटाले को अंजाम देने के लिए की थी ताकि वो इस सब की आड़ में फिर से लाखों का घोटाला कर सकें ? जैसे वो पहले भी अस्पताल बनाने के नाम पर लाखों रुपये डकार चूके हैं।
यह वाज़िब सवाल जनहित में है तथा इससे वहाँ के स्थानीय लोगो को काफी मदद भी मिलती परन्तु उन्होंने सिर्फ़ घोषणा कर के सहानुभूति और प्रसंसा बटोरने के अलावा अभी तक जमीनी स्तर पर कुछ नही कर पाए। 10 वर्ष से ज्यादा के रिसीवर के कार्यकाल के दौरान उन्होंने 20 करोड़ से ज्यादा के बस घोटालों को अंजाम दिया है और इस घोषणा के जरिये भी मंदिर के खाते में से लाखों रुपए निकाले जायेंगे जिसका कोई हिसाब नही होगा।
आपको बता दें कि वर्ष 2010 में क्षेत्र में अस्पताल के नाम पर 40 लाख रुपये में अपने खास मित्र के नाम जमीन का इकरारनामा कराकर उसी जमीन को सिर्फ 4 महीने में ही करीब 2 करोड़ 30 लाख रुपये में मंदिर के नाम खरीदकर मंदिर व न्यायालय को ही करीब 1 करोड़ 90 लाख का चूना लगाना हो, वर्ष 2011 में मंदिर को विस्तार देने के लिए योजना बनाकर खास महल नामक जगह को करीब 2 करोड़ 70 लाख में अपने खास मित्रों को एक बार फिर फायदा पहुंचाना हो, वर्ष 2014-15 में 2.5 करोड़ रुपये, वर्ष 2015-16 में 3.75 करोड़, वर्ष 2016-17 में करीब 5.75 करोड़ रुपये का गबन/हेरफेर कर बड़े घोटाले अंजाम देकर सुर्खियों में आए थे।जिसके बाद वर्ष 2018 में इम्पीरियल पब्लिक फाउंडेशन के अध्यक्ष रजत नारायण द्वारा इस पूरे मामले की शिकायत पर जांच बैठी तो तत्कालीन एसडीएम गोवर्धन नागेंद्र कुमार सिंह ने दोषी पाया था जिसके बाद अपने रसूख व बीजेपी में अपने प्रभाव के चलते मामले में कोई प्रगति देखने को नहीं मिली। इसके बाद एनजीटी के आदेश के बाद राज्य सरकार ने एसआईटी गठित कर दी तब भी काफी समय जांच करने के उपरांत दोषी ठहराया जाकर एसआईटी ने रमाकांत गोस्वामी समेत दर्जनभर आरोपियों को नामजद करते हुए सितम्बर 2020 को मुकदमा दर्ज तो कर लिया, जिसमें अभी तक केवल जांच प्रचलित है वहीं इस कछुआ गति से जारी जांच पर सवाल भी कई सारे खड़े होते चले आ रहे हैं।
संस्था के अध्यक्ष रजत नारायण ने वार्ता में यह भी बताया कि दूसरे मन्दिर में मात्र 14-15 करोड़ रुपये के गबन का आरोपी डालचंद चौधरी विगत 20 मई 2019 से जेल में बंद है जबकि रमाकांत गोस्वामी उससे कई गुना अधिक गबन का आरोपी करीब आठ महीनों से खुला घूम रहा है न सिर्फ तथ्यों से छेड़छाड़ कर रहा है अपितु दूसरा बड़ा घोटाला करने की फिराक में लगा हुआ है, क्या यही योगीजी का रामराज है ? गौरतलब है कि पिछले घोटालों में एसआईटी द्वारा मुख्य आरोपी बनाए जाने के बावजूद रमाकांत गोस्वामी अब तक न सिर्फ गिरफ्तारी से बचे हुए हैं बल्कि अभी तक रिसीवर के पद पर भी काबिज हैं।

(रिर्पोटर के आधार पर खबर प्रकाशित चैनल इसकी पुष्टि नहीं करता।)