गर्भावस्था में माताओं की मृत्यु दर को रोकने के लिए चल रहा है अभियान
हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर होती है महिलाओं की पूरी जांच ,
संतकबीरनगर / गर्भावस्था के दौरान माताओं को सुरक्षित करने की दिशा में प्रधानमन्त्री सुरक्षित मातृत्व अभियान से जच्चा – बच्चा को बड़ी बीमारी के खतरे से बचाने तथा मातृ मृत्यु दर को रोकने में काफी मदद मिलती है। जिले के हर प्राथमिक, सामुदायिक और जिला अस्पताल में गर्भवती की हर महीने की नौ तारीख को सम्पूर्ण जांच की जाती है। इसलिए गर्भवती को इस दिवस पर उच्च स्वास्थ्य इकाइयों पर जाकर अवश्य जांच करानी चाहिए ।
एसीएमओ डॉ मोहन झा ने बताया कि गर्भावस्था के समय कई बीमारियों की आशंका रहती है। इस योजना के जरिये गर्भवती के अंदर जागरूकता फैलाने का मकसद यह है कि वह गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें । जिले के हर मातृ शिशु कल्याण केन्द्रों पर आशा के जरिए एएनएम उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाती हैं, लेकिन उनकी एक बार विशेषज्ञ चिकित्सक से जांच अति आवश्यक है। इसीलिए एएनएम और आशा को हर माह की नौ तारीख को गर्भवती को उच्च स्वास्थ्य केन्द्रों पर विशेषज्ञों की निगरानी में पूरी जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान डाइबिटीज, एनीमिया, सीवियर एनीमिया, हाई ब्लड प्रेशर की जांच के साथ ही हाई रिस्क प्रेग्नेन्सी (उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था) चिन्हित की जाती है। इसीलिए इसे एचआरपी डे के नाम से भी लोग जानते हैं | इसके साथ ही जोखिम के हिसाब से लाल, नीला व पीला स्टीकर प्रयोग किया जाता है। लाल स्टीकर उच्च जोखिम की गर्भावस्था , नीला स्टीकर बिना किसी जोखिम की गर्भावस्था तथा पीला स्टीकर अन्य समस्याओं को इंगित करता है। इसलिए आवश्यक है कि गर्भावस्था के 3 से 6 माह के भीतर गर्भवती महिलाओं की जांच एक बार अवश्य कर ली जाए।