बलिया/बेल्थरा रोड

गो तस्करी के मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक द्वारा आनन-फानन में उभांव थाना पर तैनात सिपाहियों को लाइन हाजिर करने के मामले को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। आरोप है कि बिना जांच उक्त सिपाहियों को दोषी कैसे मान लिया गया जबकी उनके साथ गश्त कर रहे अन्य सिपाहियों को क्लिनचिट किस आधार पर दिया गया। उधर लाइन हाजिर हुए सिपाही भी इस निर्णय से हैरान हैं।
उभांव थाना सीमा से गो तस्करों के आसानी से निकल जाने का मुद्दा काफी गंभीर है उभांव थाना से जुड़े एक सिपाही के मईल थाना पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद आनन फानन में बिना जांच के अन्य सिपाहियों को लाइन हाजिर कर पुलिस प्रशासन आखिर क्या साबित करने पर तुली है, यह तो वही जाने। परन्तु एक बात लोगों के समझ से परे है कि हल्दीरामपुर हलके में तैनात दो सिपाहियो का गो वंशियो से भरे ट्रक के गुजरने के रास्ते से कोई सम्बन्ध नहीं था तो वह उसमें कैसे संलिप्त हो गए। दूसरा सवाल यह है कि जब ट्रक गुजरने के रास्ते चौकियामोड़ पर दो सिपाहियो की तैनाती थी तो सिर्फ एक सिपाही पर कार्रवाई क्यों? उसी तरह चेक पोस्ट पर दो सिपाहियों की तैनाती थी गोवंशियों से भरी ट्रक को रोकने के लिए बैरियर भी लगाया गया था जिसे ट्रक टक्कर मार आगे बढ़ गई।इस घटना की जानकारी एसएचओ उभांव को मौके पर मौजूद सिपाहियों ने दी थी। ट्रक निकलने के बाद इसे पकड़ने का प्रयास नहीं किया गया ना रास्ते में पडने वाले थानों को सूचना दी गई ऐसे में मौके पर तैनात सिपाहियों की लापरवाही कैसे मान ली जाए ? वहीं मोबाइल ड्यूटी कर रहे एक सिपाही को घटना के बाद उच्च अधिकारियों की जद में आना पड़ा । अगर यह भी मान लिया जाय कि बिना जांच आनन फानन में लाइन हाजिर किए गए सभी पांचो कांस्टेबल पूर्व में ही संदिग्धों में शामिल थे तो अब तक उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इन सारे प्रश्नों के बाद भी एक और सवाल जेहन में आता है कि क्या थाने पर तैनात सिपाही बिना जिम्मेदारों के संज्ञान इतना बड़ा काम कर रहे थे। यह तो एक ऐसा यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब आज नहीं तो कल जिम्मेदारों को देना ही पड़ेगा। सवाल यह है उच्च अधिकारियों द्वारा घटना को संज्ञान में लेते हुए तुरंत तो कार्रवाई कर दी गई लेकिन इस कार्रवाई के बाद जांच में हो रही देरी को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं गर्म है अब देखना है उच्च अधिकारियों के द्वारा निष्पक्ष जांच समय से हो पाती है या नहीं।फिलहाल जांच की जो गति है उसको देखते हुए लोगों का यही मानना है कि जांच टीम जानबूझकर कर किसी को बचाने के लिए इसे लटकाए रखना चाहती है।