मृत्युंजय विशारद की रिपोर्टदेवरिया / 17 जून जनपद में कभी अरहर की खेती बहुतायत से होती थी,मगर आज बिभिन्न कारणों से किसान अरहर बुवाई में कम रुचि ले रहा है।
घड़रोज व आवारा जानवरों आदि से बचाव के लिए अरहर के क्षेत्रफल को बढ़ाना होगा। अरहर की फसल उगाने से मृदा की उर्ववरा शक्ति में वृद्धि होती है इसकी की जड़ों में उपस्थित रेजोबियम जीवाणु वातावरण से मृदा में नत्रजन का स्थिरीकरण करते हैं ।

विशेषज्ञ रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि अरहर की खेती में अच्छी प्रजातियों का चयन एवं उन्नत तरीके से खेती लाभदायक होगी।
कम दिन में अरहर की पैदावार लेने के लिए 125 से 140 दिन में पकने वाली प्रजातियां जैसे उपास 120 पूसा 992 पूसा 2000 एक पूजा 2002 का चयन करना चाहिए वहीं 210 से 250 दिनों मैं तैयार होने वाली प्रजातियों में मालवीय चमत्कार, नरेंद्र आरहर एक नरेंद्र आरहर 2 राजेंद् अरहर1 का चयन करना चाहिए।
बुवाई करते समय ध्यान रखना चाहिए की कम दिन वाली फसल को जून के प्रथम से द्वितीय सप्ताह तक अवश्य बो दे, तथा लंबी अवधि वाली किस्मों की बुवाई मानसून आने के साथ जुलाई के प्रथम पखवाड़े तक अवश्य कर दें।
अरहर की बुवाई मेंड बनाकर करने से अच्छा उत्पादन होता है।
अरहर को लाइन से ही बोए। अरहर के साथ मक्का हल्दी उड़द मूंग आदि की अंतर फसल भी ली जा सकती है। अंतर फसल के लिए एक लाइन मक्का , हल्दी, बाजरा या मूंग लगाएं। लाइन की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 15 से 25 सेंटीमीटर रखी जानी चाहिए।
अरहर में ज्यादा खाद की आवश्यकता नहीं होती परंतु अच्छी उपज के लिए प्रति हेक्टेयर 8 से 10 टन गोबर की खाद मिलाकर खेत की अच्छी तरह से जुताई कर देना चाहिए। रसायनिक उर्वरकों के लिए 20 से 25 किलोग्राम नाइट्रोजन 60 से 80 किलोग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश उपयोग करना चाहिए साथ में 25 किलोग्राम सल्फर भी प्रयोग करना चाहिए।
बीमारी से बचने के लिए बीज की बुवाई करते समय 8 से 10 ग्राम ट्राइकोडरमा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। प्रयोगों में यह पाया गया है कि अरहर में दाना बनते समय यदि बरसात नहीं हो तो एक सिंचाई अवश्य करनी चाहिए।

उन्होंने बताया कृषि विज्ञान केंद्र, मल्हना द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत दलहनी फसलों के सीड हब का कार्यक्रम चल रहा है जिसके अंतर्गत किसानों के प्रक्षेत्र पर दलहनी फसलों के बीज उत्पादित कराए जाते हैं। उत्पादित बीज को केंद्र द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ 10 से 20 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि पर क्रय की जाएगी।
जो भी किसान बीज उत्पादन कार्यक्रम से जुड़ना चाहते हैं वह कृषि विज्ञान केंद मल्हना भाटपार रानी पर संपर्क करें।