मऊ / कुल 175 पौधरोपण कर आरएम यूपीसीडा ने औद्योगिक क्षेत्र में रखी भव्य नक्षत्र वाटिका की आधारशिला
मऊ। यूपीसीडा द्वारा स्थापित औद्योगिक क्षेत्र ताजोपुर में गुरुवार 28 जनवरी को भव्य नक्षत्र वाटिका, नवग्रह वाटिका व महापंचवटी वाटिका की आधारशिला रखी गई। गुरुवार को औद्योगिक क्षेत्र स्थित लगभग 2 एकड़ के संरक्षित पार्क में बृहद पंचवटी, नक्षत्र वाटिका एवं नवग्रह वाटिका की स्थापना फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज एन्ड ट्रेड के तरफ से यूपीसीडा के क्षेत्रीय प्रबंधक के एन श्रीवास्तव ने पौधरोपण कर किया।
उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम प्राधिकरण गोरखपुर के क्षेत्रीय प्रबंधक के एन श्रीवास्तव ने बताया कि वाटिका विकसित करने का उद्देश्य लोगों को धार्मिक और औषधीय महत्व के पौधों से अवगत कराना तथा औषधीय और धार्मिक आवश्यकता के लिए लोगों को एक ही स्थान पर सभी प्रकार के पौधे उपलब्ध कराने का प्रयास है।

वाटिका में 12 राशि, 9 ग्रह, 8 दिग्पाल और पंच पल्लव वृक्षों को विशेष दिशाओं में लगाया गया है। उन्होंने बताया कि यह अपने आप मे अद्भुत वाटिका साबित होगी। यह पार्क अपने आप में मऊ ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के लिए अनोखा साबित होगा।
इस नक्षत्र नवाग्रह व महा पंचवटी वाटिका में एक तरफ जहां शास्त्र पुराणों में वर्णित विधि विधान के तहत दिशा व दूरी का ध्यान रखते हुए 75 पौधे लगाए गए। वहीं इस वाटिका की सुरक्षा के निमित्त 100 कटीले व झाड़दार वृक्ष भी चारों तरफ लगाए गए हैं।इस नवग्रह वाटिका में सूर्य के लिए मंदार का पौधा, चंद्रमा के लिए पलाश, मंगल के लिए ख़ैर, बुद्ध के लिए चिरचिरी, बृहस्पति के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर, शनि के लिए शमी, राहु के लिए दुर्वा, और केतु के लिए कुश लगाया गया। इन पौधों को लगाते हुए दिशा का भी ख्याल रखा गया।औद्योगिक क्षेत्र ताजोपुर में गुरुवार को स्थापित होने वाले नवग्रह वाटिका, पंचवटी वाटिका के साथ ही नक्षत्र वाटिका का भी शुभारंभ किया गया।
पंचवटी वाटिका के सम्बंध में फेडरेशन के अध्यक्ष संजय सिंह ने पंचवटी में लगने वाले पौधों के आध्यात्मिक व औषधीय महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पंचवटी में प्रयोग होने वाले प्रमुख वृक्ष वट, पीपल, बिल्व, आम्लकी व अशोक होते हैं। उन्होंने कहा कि पुराणों में जहां वटवृक्ष में कुबेर का वास है, वहीं पीपल के वृक्ष में केशव का वास बताया गया है। इसी प्रकार बिल्व वृक्ष में शिव का वास बताया गया है। इसी प्रकार आम्लकी एवं अशोक के वृक्ष को अति पवित्र एवं मंगलमय माना गया है।बताया गया कि औषधीय महत्व वाले वटवृक्ष एवं पीपल की छाल का प्रयोग शरीर में होने वाली अनेक प्रकार की व्याधियों को ठीक करने में किया जाता है, जबकि अशोक वृक्ष के पत्ते एवं छाल से स्त्रियों से संबंधित रोगों का उपचार किया जाता है। वहीं आम्लकी वृक्ष को अमृत फल भी कहा गया है।
इस अवसर औद्योगिक क्षेत्र अध्यक्ष संजय सिंह, महामंत्री अनमोल राय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद कुमार पांडेय, कनिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीराम जायसवाल, भरथ थरड, बालकृष्ण थरड अशोक कुमार सिंह, वीरेंद्र सिंह, राकेश उपाध्याय, अनिल कुमार राय, सुदामा यादव, सियाराम यादव, श्यामसुंदर सिंह, मंटू सिंह, दरगाही गुप्ता, चतुरी गुप्ता इत्यादि मौजूद रहे।