*अगने में फुले फुलगेनावा ये ननादो बाजेला बधईया अंगने में*

*बारह दिवसीय बिरहा दंगल का चौथे दिन नितुराज वाराणसी एवं प्रीति पाल ने दिया कौमी एकता का संदेश*।

🟠वाराणसी। बिरहा हमारी आत्मा में रची बसी हुई है। इससे हम अलग नहीं हो सकते। बिरहा के माध्यम से समाज फैली रूढ़ियों पर प्रहार किया जाता है। समाज सुधारक का काम करता है बिरहा। उक्त बाते आयर बाजार में हो रहे बारह दिवसीय बिरहा दंगल के चौथे दिन मुख्य अतिथि सुजीत यादव उर्फ लक्कड़ पहलवान जिलाध्यक्ष सपा ने अपने संबोधन में कहा।बिरहा गायिका नीतू राज वाराणसी एवं प्रीति पाल प्रयागराज ने अपने बिरहा के माध्यम से कौमी एकता का संदेश दिया। “हिंदू मुसलमान भले अलग अलग पर मानुष तनवा एक ही बा”, “काशी मदीना भले अलग पर दरशनवा एक ही होला”,”अगने में फुले फुलगेनवा ये ननादो बाजेला बधईया अंगने में”,
की प्रस्तुति की। जनार्दन पाठक एवं मुकुंद जायसवाल ने यथार्थ गीता के यज्ञ कर्म स्पष्टीकरण नामक चौथा एवं यज्ञ भोक्ता महापुरुषस्थ महेश्वर नमक पांचवे अध्याय का पाठ किया। बारह दिवसीय बिरहा दंगल कमेटी के अध्यक्ष दिनेश यादव ने बिरहा कलाकारों को सम्मानित किया। डा अंकित यादव,विजय बहादुर यादव,पन्ना लाल यादव पूर्व प्रधान,राजेश उर्फ नंत्थू यादव,बाबूलाल यादव,जिला महासचिव विनोद यादव,मुरारी यादव,राजेश यादव,पारस यादव आदि लोग उपस्थित रहे।