दरभंगा / सी एम कॉलेज, दरभंगा में संचालित 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण के छठे दिन के शिविर का प्रधानाचार्य ने किया शुभारंभ*

*संस्कृत केवल साहित्य ही नहीं, वरन हमारा जीवनदर्शन एवं ज्ञान-विज्ञान का अनंत स्रोत- प्रो विश्वनाथ*

*संस्कृत भाषा व साहित्य अध्ययन-अध्यापन के बिना हमारी जानकारी अधूरी- डा विजयचन्द्र*

*मानवता का पथ- प्रदर्शक संस्कृत ज्ञान को आज जीवन में उतारने की जरूरत- डा चौरसिया*

सी एम कॉलेज, दरभंगा में संचालित 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण के छठे दिन के शिविर का शुभारंभ करते हुए प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा ने कहा कि संस्कृत केवल साहित्य ही नहीं, वरन हमारा जीवनदर्शन एवं ज्ञान- विज्ञान का अनंत स्रोत है। मिथिला में विद्वानों की परंपरा रही है। आज हमें सिर्फ उसका गुणगान करते नहीं रहना चाहिए, बल्कि उसके उपयोग से हम सकारात्मक रूप से जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। हमें संस्कृत ज्ञान से प्रेरणा लेकर हम वर्तमान परिवार एवं समाज को धन्य-धन्य कर सकते हैं। संस्कृत के समृद्ध एवं वैज्ञानिक व्याकरण ज्ञान से हम अन्य भाषाओं को भी सहजता से सीख सकते हैं। संस्कृत अमृत, आनंद एवं कामधेनु सदृश्य भाषा साहित्य है।
सम्मानित अतिथि के रूप में स्थानीय एमएमटीएम कॉलेज, दरभंगा के इतिहास के प्राध्यापक डा विजय चंद्र ठाकुर ने कहा कि संस्कृत भाषा और साहित्य अध्ययन-अध्यापन के बिना हमारी जानकारी अधूरी है। संस्कृत को हर उम्र, वर्ग-समुदाय के व्यक्ति को पढ़ना चाहिए, ताकि हमारी जानकारी बढ़ सके। रूस, जापान, चीन, जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका व आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों के विश्वविद्यालयों में भी संस्कृत अध्ययन- अध्यापन एवं शोध- कार्य हो रहे हैं।
शिविर के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि संस्कृत- ज्ञान मानवता का पथ- प्रदर्शक है, जिसे जीवन में उतारने की जरूरत है। सद्विचार, उच्चदर्शन, आध्यात्मिकता और नैतिकता संस्कृत भाषा- साहित्य में निहित है, जिसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। शिविर में अध्यापक कन्हैया जी, आकाश अग्रज आदि ने भी विचार प्रस्तुत किए, जबकि सुदिष्ट झा, अजीत कुमार, दीपेश रंजन, कैलाश आनंद, जयशंकर, प्रकाश झा, पीयूष सत्संगी, मोनू पासवान, मनीष राय, नारायण जी साहू, अमरजीत, अक्षिता, जिनत सगुफा, कंचन, सुप्रिया, जिया, लक्ष्मी, आराधना, अंजलि, संध्या, राजनंदिनी, बबली, अन्नपूर्णा, निशा, रिया, पूजा, मुस्कान, राखी, प्रीति, जेमत परवीन, वैष्णवी, कनीज फातमा, खुशबू, पूजा, शालिनी, सरोज, गुंजन, ज्योति, काजल, मधु, भार्गवी, सत्यम, दुजेन्दु, नीरज, अभ्युदय, सुधांशु शेखर, ज्योति, अरविंद, रजनीश, मनीष, प्रहलाद, गिरधारी झा, सूरज, सीमा, संगीता, सबा ताज, आकांक्षा व डा भारती कुमारी सहित 70 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
आगत अतिथियों का स्वागत एवं संचालन शिविर प्रशिक्षिका अंशु कुमारी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन अजीत कुमार झा ने किया।