🛑रिपोर्ट नरेश सैनी

हठ धर्मिता : वाडिया और आरोपियों की भिन्न भिन्न लोकेशन के बाद भी कार्यवाही करने की फिराक में है गोवर्धन पुलिस

तत्कालीन गोवर्धन थाना प्रभारी को मोहरा बनाकर मीडियाकर्मी को फसाने वाले सीओ गोवर्धन खुद ही फंस गए अपने षण्यंत्र में

🟥मथुरा। पुलिस के विरुद्ध कोई मुंह नहीं खोले अन्यथा झूठे मुकदमे दर्ज कर जेल भेजने की आदि गोवर्धन पुलिस का एक और नया कारनामा सामने आया है जिसमे कि पुलिस की कुछ कारगुजारियों को प्रमुखता से प्रकाशित करने से नाराज सीओ गोवर्धन द्वारा वाडिया वा नामजद आरोपियों की घटना के समय एक जगह न होकर अलग अलग स्थानों पर लोकेशन होने उपरांत भी अपनी खुन्नस निकालने को झूठा जेल भेजने की हठधर्मिता निभाने को आतुर सीओ गोवर्धन खुद अपने ही बने षणयंत्र के तहत विभाग की सत्य निष्ठा को दाव पर लगा रहे हैं।
विदित हो कि तत्कालीन थाना प्रभारी गोवर्धन को गुमराह अपने यार को खुश करने के लिए एक मीडियाकर्मी पर पहले गुंडा एक्ट की कार्यवाही करा दी गई जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा स्थगित कर उच्चाधिकारियों से जवाब तलब कर लिया गया तो बौखला कर मिथ्या मुकद्दने दर्ज कर दिनांक 3 अगस्त को विधि विरुद्ध अपने खास ऐसे दरोगा कस्बा चौकी इंचार्ज यशपाल सिंह यादव जो अपने ज्ञान के आगे प्रमुख सचिव गृह गोपनीय विभाग लखनऊ जैसे वरिष्ठ आई ए एस अधिकारी और न्यायिक अधिकारियों को बौना समझते है उनके द्वारा मीडियाकर्मी को घर से उठवाकर थाने की हवालात में बंद करा दिया गया और घंटों बाद दबाव बनाकर मन माफिक तरीके से तहरीर लिखवाकर पुछताछ हेतू थाने बुलाए जाने संबंधित जीडी में तस्करा अंकित कराकर थाने से छोड़ा गया था और उक्त तहरीर को आख्या सहित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मथुरा के यहां विचाराधीन 153(3) सीआरपीसी के प्रार्थना पत्र की पत्रावली में दाखिल करा दिया गया
जिसकी शिकायत करने पर दुकान के विवाद को लेकर वर्षों से चली आ रही रंजिश और चिढ़ को हथियार बनाकर मिथ्या आरोप लगाने की आदतन महिला से छेड़छाड़ आदि की तहरीर लेकर फर्जी मुकद्दमा अपराध संख्या 500 सन 2023 दर्ज कर लिया गया जबकि तहरीर अनुसार घटना के समय वाडिया और नामजद आरोपियों की लोकेशन एक जगह पर नहीं है अपितु अलग अलग स्थानों पर है और अहम बात यह भी है कि दर्शाए गए साक्षी ई रिक्शा चालक का कोई अता पता नहीं है फिर भी सीओ गोवर्धन के दबाव में गोवर्धन पुलिस कार्यवाही कर जेल भेजने वा आरोप पत्र दाखिल करने को अमादा है। जबकि उक्त मुकदमे के दर्ज कराए जाने के उपरांत नामजद मीडियाकर्मी द्वारा उच्चाधिकारियों को प्रेषित प्रार्थना पत्रों और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखते हुए कुछ बिंदुओं को 1 तहरीर अनुसार घटना वाले दिन वादिया की लोकेशन कहां कहां रही है और अपने स्विंग पुल पर पहुंची अथवा नहीं और अपने पति को तो फोन द्वारा सूचना दे दी लेकिन 112 पर सूचना क्यों नहीं दी गई ? 2 – तहरीर अनुसार जिस ईरिक्शा को रोक कर घटना को अंजाम दिया गया उस ई रिक्शा चालक से नामजदों की पहचान कराई जाए और उसका बयान स्वतंत्र रूप से न्यायालय कर्मचारियों की मौजूदगी में कराया जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके ? 3 – वादिया और नामजद दोनों आरोपियों की लोकेशन एक दूसरे के साथ होनी चाहिए इसलिए उनकी लोकेशन निकालना न्यायहित में आवश्यक है और वहां मौजूद दुकानदारों नगर पंचायत कर्मचारियों और हर समय तैनात यातायात पुलिस कर्मियों के बयान दर्ज किए जाने भी न्यायहित में आवश्यक है ? 4 – घटना 27 तारीख सुबह 7 बजे दर्शाई गई है और तहरीर 30 तारीख को दी गई तो बिलंब के कारण की जांच होना न्यायहित में आवश्यक है ? 5 – उक्त मुकदमे की वादिया पूर्व में गोवर्धन पुलिस के अलावा कितने व्यक्तियों पर छेड़छाड़ बलात्कार आदि करने का प्रयास करने का आरोप लगा चुकी है गहन जांच का विषय है ? आदि पांच बिंदुओं को विवेचना में शामिल कर विवेचना कराए जाने की मांग की गई और सूचनाधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना उपलब्ध कराने की भी मांग की गई थी। इसके साथ साथ व्यक्तिगत रूप से घटना के संबंध में घटना घटित होने वाले दिन और दर्शाए गए समय पर वादिया और नामजद आरोपियों की लोकेशन की जानकारी की गई तो परिणामस्वरूप नतीजा बेहद चौकाने वाले सामने आए और वादिया और नामजद आरोपियों में से सभी की लोकेशन अलग अलग स्थानों पर थी लेकिन सीओ गोवर्धन राम मोहन शर्मा अपने पद और प्रतिष्ठा दांव पर लगाकर अपने एक चहेते मित्र को खुश करने के लिए सब कुछ जानते हुए भी फसाने और बदला लेने की नीयत से अपनी पुलिस विभाग के प्रति सत्य निष्ठा को कलंकित करते नजर आ रहे हैं और कार्यवाही करने को आतुर है ।