🛑रिपोर्ट नरेश सैनी

रोकने के लिए सचल दस्ता गठित करेंगे कार्यवाही

🟥मथुरा । उप कृषि निदेशक रामकुमार माथुर ने अवगत कराया है कि मुख्य सचिव महोदय उत्तर प्रदेश शासन द्वारा फसलों के अवशेष जलाये जाने से उत्पन्न हो रहे प्रदूषण की रोकथाम के निर्देश दिये गये हैं, जिसके क्रम में पराली को जलाये जाने से रोकने हेतु जनपद, तहसील एवं विकास खण्ड स्तर सचल दस्ता/समिति गठित की गयी है तथा राजस्व गॉव एवं न्याय पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी गयी है।

 

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा-24 एवं 26 के अन्तर्गत खेत में फसल अवशेष जलाया जाना एक दण्डनीय अपराध है। पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु दण्ड के प्राविधान निम्नयत् है, जिसमे 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रू 2500 प्रति घटना। 2 से 5 एकड के लिए रु 5000 प्रति घटना, 5 एकड से अधिक क्षेत्र के लिए रू 15000 प्रति घटना। अपराध की पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध अर्थदण्ड इत्यादि की कार्यवाही अमल में लायी जायेगी।
फराल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर रट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम तथा स्ट्रा रीपर अथवा स्ट्रा रेक एवं बेलर अथवा अन्य कोई फसल अवशेष प्रवन्धन यन्त्र का उपयोग किया जाना अनिवार्य होगा। यदि कोई भी कम्बाइन हार्वेस्टर सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर अथवा स्ट्रा रेक एवं बेलर या अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन यन्त्रों के बगैर चलते हुई पायी जाये तो उसको तल्काल सीज करते हुए कम्बाइन मालिक के स्वंय के खर्चे पर सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम लगवाकर ही छोड़ा जाये।
उक्त के क्रम में समस्त कृषक भाईयों से अनुरोध है कि किसी भी फसल के अवशेष को खेती में न जलायें बल्कि मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि हेतु पादप अवशेषों को मृदा में मिलायें / सडाये।