💢अमेठी। कम लागत से अमेठी जिले में बनने वाली सड़कों की गुणवत्ता व तकनीकी परखने व देखने के लिए मंगलवार को दो दिवसीय कार्यक्रम में 18 राज्यों के अभियंताओं ने डेरा डाल दिया है।

मंगलवार के बाद बुधवार को भी कम लागत में बनने वाली तकनीकी विधि को देखने के बाद ही अभियंता अपने राज्य के लिए रवाना होंगे। प्रदेश भर में अब तक

सबसे कम लागत से 70 किलोमीटर सड़क का निर्माण कराकर अमेठी नम्बर वन बन चुका है। इन सड़कों का निर्माण रसिया तकनीक से बनाई जा रही है।

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना मिशन लाइफ कार्यक्रम के तहत ग्रामीण अभियंत्रण विभाग द्वारा विकास खंड बहादुरपुर के सराय महेशा से अलाई पुर दूरी 10 किलोमीटर व पीढ़ी से ओनढीह दूरी 5.6 किलोमीटर मरम्मतीकरण का कार्य रसिया तकनीकी विधि से किया जा रहा है।

कम लागत में तकनीकी विधि से बनने वाली सड़क को देखने के लिए मंगलवार को 18 राज्यों के अभियंताओं ने अमेठी में दो दिवसीय डेरा डाल दिया है। अभियंताओं में असम से हिरन्या दास व अतानु शर्मा असिस्टेंट एक्जक्यूटिव इंजीनियर, बिहार से रामाचल यादव असिस्टेंट एक्जक्यूटिव

इंजीनियर, गुजरात से एचसी मोदी चीफ इंजीनियर, एडिशनल सिक्रेटरी आर एन्ड बी डिपार्टमेंट, हिमांचल प्रदेश से राजिंदर जुबलानी, विनोद शर्मा एक्जक्यूटिव इंजीनियर, कर्नाटक से नागराज असिस्टेंट एक्जक्यूटिव इंजीनियर, केरला से सुमा पी सुरेंद्रन एक्जक्यूटिव इंजीनियर, लद्दाख से साबिर हुसैन असिस्टेंट एक्जक्यूटिव इंजीनियर, महाराष्ट्र से धनंजय जाधव एक्जक्यूटिव इंजीनियर, मेघालय से इदमुन्द एक्जक्यूटिव इंजीनियर, मिजोरम से बी वनलालहरौआई सीनियर इंजीनियर, नागालैंड से सेमैसी कटरी एक्जक्यूटिव इंजीनियर, नागालैंड से वीजोपूसा जूनियर

इंजीनियर, ओडीसा से के अपिलेश्वर सिंह एक्जक्यूटिव इंजीनियर, पंजाब से शिखर गुलेरिया व शाहिल कुमार जूनियर इंजीनियर, तमिलनाडु से थीरु कुमार जूनियर इंजीनियर, तेलंगाना से श्रीराम रामूलू असिस्टेंट एक्जक्यूटिव, त्रिपुरा से रजत वैद्य एक्जक्यूटिव इंजीनियर, मोर्ड से केएम सिंह, डायरेक्टर (आरसी), आईआईटी पटना से प्रो. सुधीर वर्मा प्रो. सिविल डिपार्टमेंट, उत्तराखंड से महेंद्र सुप्रीन्टेंडिंग अमेठी के ग्राम पंचायत सराय महेशा गांव पहुंचे। वहां पहुंचकर

अभियंताओं ने निर्माण के संबंध में प्रस्तुतीकरण व क्रियाविधि को देखा व समझा। ग्रामीण अभियंता विभाग के सहायक अभियंता शुभम ने बताया कि इको फ्रेंडली तकनीकी से सड़क बनाई जा रही है। अमेठी में अब तक 70 किलोमीटर सड़क रसिया तकनीकी से बनाई जा चुकी है। जो प्रदेश में अब तक सर्वाधिक है। जीर्ण शीर्ण हो चुकी सड़कों में उन्हीं पत्थरों को ही दोबारा रिसायकल कर नई सड़क बनाई

जाती है। इस विधि से सड़कों को बनाने के लिए दोबारा खुदाई नहीं करनी पड़ती है और इससे पर्यावरण भी सुरक्षित होता है।

साथ ही कम बजट में सड़क बनकर तैयार भी हो जाती है। उन्होंने बताया कि इन सड़कों में जिओ सिंथेटिक का सेमीलोन भी इस्तेमाल किया जाता है। सहायक अभियंता शुभम ने बताया कि इन सड़कों का निर्माण रसिया तकनीकी से किया जा रहा है। इन सड़कों के निर्माण में रसिया से आए केमिकल से तैयार किया जाएगा।

सड़कों के निर्माण में केमिकल और सीमेंट को मिलाकर पांच किलोमीटर की सड़क पर छोड़ा जाएगा, उसके बाद रोलर से कुटाई की जाएगी। फिर बराबर तरी करने के बाद डामरीकरण किया जाएगा।