🛑रिपोर्ट नरेश सैनी

🟥मथुरा। संस्कृति विश्विद्यालय के सातवें स्थापना दिवस समारोह में मुंबई से आए युवा और लोकप्रिय गायक साज बट के गीतों पर विद्यार्थी झूम झूम कर नाचे और मस्त हो गए।
जहां एक और विवि के छात्र और छात्राओं ने दर्शकों को अपनी सुंदर प्रस्तुतियों से बांधे रखा था वहीं मुंबई से आए मोहाली चंडीगढ़ के युवा और बेहद लोकप्रिय गायक साज बट ने मंच पर आते ही अपनी आवाज का जादू बिखेर दिया। लोकप्रिय गीत ‘तू जाने ना, निगाहों में देखो जो बस गया, अफसोस होता है, दिल भी ये रोता है, ये फासले तुमसे ना जाने क्यूं, मिल के भी ना मिले, तुमसे ना जाने क्यूं ‘ जैसे ही साज बट ने

 

 

गाना शुरू किया वैसे ही संस्कृति विवि का मैदान युवाओं के शोर से गूंज उठा। गाते हुए साज ने बीच में सभी का राधे राधे बोलकर अभिवादन किया तो सारा प्रांगण राधे राधे के बोलों से झंकृत हो गया।
साज बट बिना रुके छात्र छात्राओं के अनुरोध पर अपने द्वारा गए गीतों को लड़ी में पिरोते चले गए। हल्की हल्की सी बरसात, गुलाबी आंखें जो तेरी देखीं, शराबी ये दिल हो गया, मेरे महबूब कयामत होगी, आज रुसवा तेरी गलियों में मुहब्बत होगी, लापता हो गए देखते देखते, तुमसे मिलकर दिल पागल, क्या करें। अरिजीत सिंह के गाए गीत, बत्ततमीज दिल बत्तमीज दिल माने ना माने ना, सुभान अल्लाह सुभान अल्लाह, में जट यमला पगला जैसे पंजाबी, नए, पुराने गीतों को सुनाकर साज ने माहौल में रूमानियत भर दी।
संस्कृति विश्विद्यालय के छात्र, छात्राओं के जोश से स्वयं प्रफुल्लित साज ने बताया इस बात को कहा भी कि मैंने इतना जोश कहीं और नहीं देखा। मैं पहली बार मथुरा आया हूं लेकिन लग रहा है जैसे अपने घर में आया हूं। साज की गायिकी का ये सिलसिला देर रात तक यूंही चलता रहा न सुनने वाले थक रहे थे न गाने वाले।

चार पुस्तकों का हुआ विमोचन

स्थापना दिवस के दौरान विवि के शिक्षकों द्वारा लिखी गई चार पुस्तकों का विमोचन मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेडकर और संस्कृति विवि के चांसलर डॉक्टर सचिन गुप्ता ने किया। ये पुस्तकें डा रेनू गुप्ता द्वारा लिखित,पेडोगामी ऑफ कॉमर्स, डा नेहा शर्मा द्वारा लिखित, डिजिटल मार्केटिंग, डा अभिषेक वर्मा द्वारा लिखित, इंडियन पॉलिटिकल स्ट्रक्चर एंड पॉलिसी थीं।