(अभिषेक लाल की रिपोर्ट)

गोरखपुर / एक तरफ योगी सरकार भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने का कार्य तेजी से कर रही है वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में ही रिश्वतखोरी का खेल खेला जा रहा है।
ताजा मामला नगर निगम के महापौर सीताराम जायसवाल जो सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अत्यंत प्रिय बताए जाते हैं उन्हीं के नगर निगम का है जहां पर खुद श्री जायसवाल महापौर के रूप में तैनात हैं।
नगर निगम गोरखपुर में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के नाम पर दलालों का तो वर्चस्व पहले से ही था।
साथ ही साथ नगर निगम के कर्मचारी भी इस दलाली में दिन रात एक किए हुए हैं।
ताजा मामला नगर निगम गोरखपुर का है जहां पर आकिब नाम का युवक जो खुद नगर निगम में कर्मचारी बतौर कार्यरत है।
नगर निगम में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने आए लोगों के साथ बार-बार कर्मचारियों द्वारा दलाली का शिकायत आ रहा था।
शिकायत मिलने पर हमारे रिपोर्टर ने जांच पड़ताल शुरू कर की।
रिपोर्टर ने अपने खुद के घर में बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने नगर निगम को गए।
अंदर जाने पर उन्होंने ₹30 देकर जन्म प्रमाण पत्र फार्म लिया जहां फॉर्म फिलअप करके दीपक श्रीवास्तव नामक तैनात कर्मचारी को दी।
तैनात नगर निगम जन्म प्रमाण शाखा का कर्मचारी दीपक श्रीवास्तव ने आकिब को आवाज दी।
कंप्यूटर बाबू पद पर तैनात आकिब आया और रिपोर्टर को अपने आफिस ले गया।
जहां रिपोर्टर को बातों में घुमा घुमा कर यह बोला कि आपको नोटरी बनवा कर देनी पड़ेगी।
जहां रिपोर्टर ने कहा कि नोटरी की क्या आवश्यकता,फिलहाल इस प्रक्रिया से मुझे गुजरना नहीं आता।
फिर आकिब ने बताया कि परेशान मत होइए ₹300 दिजीये।
मैं आपका पूरा काम करा दूंगा ₹300 दे दीजिए।
रिपोर्टर ने पूछा कि इतना रेट आप अधिक क्यों ले रहे हैं जबकि बहुत कम में ही बन जाता है।
फिर आकिब ने बताया कि इस पैसे में हिस्सा तमाम अधिकारियों को जाता है। बातचीत करते हुए उसने पैसा रिपोर्टर से ले लिया उसने बताया कि इन रुपयों में नगर स्वास्थ्य अधिकारी, एसडीएम इत्यादि को देकर उन्हें खुश किया जाता है जिससे काम आसानी से आपका हो जाता है।
अब सवाल यह बनता है कि उक्त प्रकरण में एसडीएम, नगर स्वास्थ्य अधिकारी इत्यादि अधिकारी की मिलीभगत से जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का खेला किया जाता है?
या उच्च अधिकारियों का नाम बेचकर नगर निगम के कर्मी पैसे वसूलने में लीन है जिन पर कार्रवाई के बजाय जिम्मेदार अधिकारी मौन बैठे हुए हैं।
क्या रिश्वतखोरी वाले मामले में नगर निगम के दोषी कर्मियों सजा मिलेगी या नहीं?
इस मामले पर उच्च अधिकारियों का बयान अभी बाकी है।