दरभंगा

*”राष्ट्रनिर्माण में गांधी एवं शास्त्री का योगदान” विषयक विचारगोष्ठी में डा चौरसिया, मनोज शर्मा व पंकज कुमार आदि ने रखें महत्वपूर्ण विचार*

*महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री का जीवन और दर्शन हर पीढ़ी को सदा कर्तव्यपथ पर चलने हेतु करता रहेगा प्रेरित- डा चौरसिया*

*मन, वचन व कर्म में समानता रखने वाले गांधी व शास्त्री ने आत्मनिर्भर समाज एवं समुन्नत भारत का देखा था सपना- मनोज शर्मा*

*अतिशय भौतिकता व माया- मोह से ऊब चुके लोग संतोषी, खुशहाल व शान्त जीवन जीने को इच्छुक- पंकज कुमार*

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन दर्शन एवं उनका चरित्र न केवल प्रशंसनीय, बल्कि अनुकरणीय भी है। पूरे विश्व के लिए गांधी के विचार प्रकाशस्तंभ की तरह हर स्थिति में सदा मानव का मार्गदर्शक रहा है। गांधी सत्य, अहिंसा, सूचिता, नैतिकता व करुणा के प्रतिमूर्ति थे। महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री का जीवन एवं दर्शन हर पीढ़ी को कर्तव्यपथ पर चलने हेतु प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने महिलाओं, युवाओं, बुद्धिजीवियों, पिछड़ों, गरीबों, अल्पसंख्यकों तथा वंचितों को भी समान रूप से महत्व दिया था। उक्त बातें मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के प्राध्यापक सह प्रेस एवं मीडिया पदाधिकारी डा आर एन चौरसिया में योगीता फाउंडेशन तथा सिटीजन आवाज, दरभंगा के लहेरियासराय स्थित कार्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के सुअवसर पर “राष्ट्रनिर्माण में गांधी एवं शास्त्री का योगदान” विषयक विचारगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कही।
डा चौरसिया ने दोनों महापुरुषों के जीवन से संबंधित अनेक प्रेरक एवं शिक्षाप्रद घटनाओं की चर्चा करते हुए उनके राष्ट्रनिर्माण में योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
विचारगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए योगीता फाउंडेशन के अध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी जी की जयंती पूरे विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनायी जाती है। गांधी जी जो सोचते थे, वही कहते और करते भी थे। वे आत्मनिर्भर समाज एवं समुन्नत भारत बनाना चाहते थे। उनके लिए पंक्ति का पहला और अंतिम व्यक्ति समान रूप से महत्वपूर्ण होता था। सत्य और हिंसा के बल पर उन्होंने न केवल भारत को स्वतंत्र कराया, बल्कि अनेक सामाजिक परिवर्तन भी लाया। उनके जीवन दर्शन को अपनाकर आज भारत के करोड़ों लोग राष्ट्रनिर्माण में अपना अमूल्य योगदान कर रहे हैं।
अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश कराते हुए सिटीजन आवाज के प्रधान संपादक पंकज कुमार झा ने कहा कि आज गांधी के सिद्धांत भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में प्रासंगिक होता जा रहा है, क्योंकि लोग आज भौतिकता तथा माया- मोह के जाल से ऊब चुके हैं तथा संतोषी, खुशहाल एवं शांत जीवन जीना चाहते हैं। गांधी मात्र व्यक्ति ही नहीं, बल्कि एक जीवनदर्शन हैं, जिनका राष्ट्र- निर्माण में सदा से योगदान रहा है। वहीं लाल बहादुर शास्त्री ने प्रधानमंत्री के रूप में ‘जय जवान, जय किसान’ नारा देकर किसानों एवं सेना को महत्त्व को प्रदर्शित किया था।
अतिथियों एवं स्वयंसेवकों द्वारा महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर फूल- माला अर्पण कर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई। विचारसंगोष्ठी की शुरुआत महात्मा गांधी के प्रिय भजन “रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम…” के गायन से हुआ। इस अवसर पर योगीता फाउंडेशन के स्वयंसेवक गौरव शर्मा, जसवीन्दर तथा अविनाश आदि उपस्थित थे।