🛑जी पी दुबे
संवाददाता
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👉🏾 पकड़ी चंदा,नगहरा से मेडिकल कॉलेज तक आने के लिए आम जनता को लेना पड़ता है लोहा-

👉🏾 बड़े-बड़े गड्ढे बरसात में बन जाते हैं तालाब –

👉🏾 सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को लाने में होती है-

👉🏾 पूरी तरह टूट चुकी सड़क पर मरम्मत के नाम पर की जा रही है खानापूर्ति –

👉🏾8 किलोमीटर की दूरी बाइक से तय करने में संवाददाता को खुद भी यह एहसास हुआ कि यहां के लोग किस तरह इस सड़क पर अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए चलते होंगे-

🟥बस्ती सैकड़ो गांव को जोड़ने वाली रामपुर मेडिकल कॉलेज से खैराटी,भौरा,डिहवा,हसिया देवरी, ससना, नगहरा, पकड़ी चंदा, छितौनी, हरिहरापुर, अंडा संडा होते हुए बस्ती गोरखपुर मार्ग में देवरिया माफी में जाकर मिलने वाली 8 किलो मीटर सड़क बदहाल हो चुकी है |
यूं तो पूरी सड़क की हालत काफी दयनीय है लेकिन मेडिकल कॉलेज से पकड़ी चंदा तक 4 किलोमीटर सड़क की हालत बद से भी बदतर है | जिस पर दो पहिया और साइकिल से चल कर मेडिकल कॉलेज तक पहुंचाना किसी जंग जीतने से कम नहीं है | वहीं पैदल चलनें वालों के लिए इस सड़क पर चलना पहाड़ पर चढ़ने के बराबर है |
पूरी तरह टूटी सड़क गढ़ों में तब्दील होकर बरसात में पानी भर जाने के बाद किसी तालाब से कम नजर नहीं आती|

 

ऐसा नहीं है कि इस मार्ग पर कुछ है नहीं, दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहित दर्जनों प्राथमिक विद्यालय, इंटर कॉलेज तथा टेक्निकल इंस्टिट्यूट भी इस मार्ग पर हैं | छोटे बच्चों तथा राहगिरों का गिरकर चोटिल होना इस सड़क पर आम बात हो गया है |
इस सड़क पर चलने के बाद आपको कहीं भी या नहीं महसूस होगा कि आप 21 वीं मे चल रहे हैं |
जब इस सड़क पर पड़ने वाले गांव के स्थानीय निवासी ज्ञान सागर चौधरी, ओम प्रकाश यादव, रामप्रसाद, नरेंद्र दुबे, राजू पांडे , शत्रुघ्न उपाध्याय, मोहम्मद हुसैन, अकरम , राजू संजय आदि से बात किया गया तो उन्होंने बताया की मुख्यमंत्री पोर्टल से लेकर, आइजीआरएस, जनप्रतिनिधियों तथा अधिकारियों से भी इस बाबत कई बार कहां गया लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया |
उन लोगों ने कहा कि पूरी तरह टूट चुकी इस सड़क की पूरी तरह पेंटिंग की जानी चाहिए जबकि कुछ जगहों पर कुछ गड्ढों को गिट्टी डालकर उसके ऊपर पतला लेयर तारकोलयुक्त गिट्टी डालकर खाना पूरी की जा रही है जिसकी कोई लाइफ नहीं है |
उन लोगों ने कहा कि यदि शासन प्रशासन द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जाता तो वह आंदोलन करने को बाध्य होंगे |

 

 

वहीं दबी जुबान नाम न छापने की शर्त पर कुछ बीजेपी कार्यकर्ता भी कहते हैं कि सांसद जी से कई बार कहा गया, उनके पैड पर दो -तीन बार लिखवा कर विभाग को दिया भी गया लेकिन विभाग के कान पर नहीं जूँ रेगती | बाकी माननीयों को केवल वोट से मतलब है जन सुविधाओं से उनका कोई लेना देना नहीं है |