✍️रिपोर्ट नरेश सैनी

🛑मथुरा। संपत्ति और लालच के चलते हम इस हद तक गिर जाएंगे ऐसी मरने वाले ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी घरेलू और संपत्ति विवाद में एक सप्ताह में ही मृत देह की बेकद्री का दूसरा मामला सामने आया है।

शहर कोतवाली क्षेत्र के द्वारिकापुरी इलाके में हाईकोर्ट के अधिवक्ता अशोक चौधरी की बीमारी के कारण मौत गई। शव का अंतिम संस्कार कौन करेगा, इसे मां, तीन बहनों और एक भाई के बीच रार हो गई। बहनों और मां ने भाई को अंतिम संस्कार नहीं करने दिया।

करीब 9 घंटे तक अंतिम संस्कार पर कोई निर्णय नहीं हो सका तो पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पोस्टमार्टम के बाद ही तय होगा कि अंतिम संस्कार कौन सा पक्ष करेगा। 64 वर्षीय अधिवक्ता अशोक चौधरी के पिता ओमकार चौधरी कस्टम विभाग में अधिकारी थे।

ओमकार के परिवार में पत्नी ब्रह्मा देवी, तीन बेटियां आशा, आभा और अरुणा हैं। वहीं, दो बेटे अशोक और योगेश चौधरी हैं। अरुणा के पति आईबी में हैं, वह परिवार के साथ जनकपुरी, अलीगढ़ में रहती हैं।

आशा चौधरी पति के साथ द्वारिकापुरी में ही रहती हैं, वहीं आभा मेरठ स्थित ससुराल को छोड़कर मां और भाई अशोक चौधरी के साथ द्वारिकापुरी में ही रहती हैं। अशोक चौधरी की सुबह सात बजे मौत हो गई। सूचना पर भाई योगेश चौधरी उर्फ पप्पू द्वारिकापुरी पहुंचा। तीनों बहनों व मां ने आपत्ति जताई। योगेश चौधरी भाई के शव का अंतिम संस्कार खुद करने की जिद पर अड़ गया। दोपहर तक मामला काफी गर्मा गया। करीब 9 घंटे तक अंंतिम संस्कार नहीं

हो सका। शाम चार बजे परिवार की सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की। बात नहीं बनी तो शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। बहन आशा ने बताया कि अशोक चौधरी का किसी कारण से तलाक हो गया। उनको कोई संतान नहीं है। वे मां के साथ रहते थे। भाई के नाम पर द्वारिकापुरी में करीब 300 वर्ग गज जमीन पर मकान बना हुआ है। छोटे भाई की नीयत इस संपत्ति पर कब्जे की है।

योगेश चौधरी ने बताया कि भाई की मौत की सूचना पर वह उनके घर पहुंचे। बहन आशा ने घर में भी घुसने नहीं दिया। पुलिस के आने पर भी कोई सहमति नहीं बनी। इस पर डीएम कार्यालय पहुंचे। वहां सिटी मजिस्ट्रेट ने दखल दिया। इसके बाद पुलिस ने सुनवाई की। मगर, समाधान नहीं निकला। बहनों से कहा गया कि उनको मुझसे आपत्ति है तो मेरा बेटा अंतिम संस्कार कर देगा। मुझे संपत्ति का कोई लालच नहीं है। लंबी कानूनी लड़ाई और सामाजिक लोगों के समझाने बुझाने के बाद आखिर मृतक का अंतिम संस्कार किया गया। इस घटना को लेकर पूरे शहर में चर्चा व्याप्त है।