मथुरा
रिपोर्ट सत्येंद्र यादवमथुरा /बलदेव- भाकियू भानु ने आज गढ़सौली में भरतपुर रियासत के महाराजा जबाहर सिंह के 253 वे बलिदान दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित किया और उन्हें श्रदासुमन पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में बोलते हुए भाकियू के प्रदेश महासचिव रामवीर सिंह तोमर ने कहा कि महाराजा जबाहर सिंह का शासनकाल सन 1763 से – 1769 तक रहा। महाराजा जवाहर सिंह महाराजा सूरजमल के ज्येष्ठ पुत्र थे। अपनी माता के आदेश पर अपने पिता की पगड़ी की शान का मुगलों से बदला लेने के लिए सन् 1763 ई. में एक विशाल सेना लेकर दिल्ली की ओर कूच कर लाल किले को हाथियों की टक्कर से तोड़ दिया था और दिल्ली सल्तनत को जीतकर वहाँ से भरपूर धन दौलत व लालकिले से दरवाजे उखाड़कर साथ ले आये थे ! आज भी भरतपुर के किले और मथुरा में भरतपुर बाली हवेली में अष्ट धातु का किवाड़ मौजूद है ! हिन्दुस्तान में महाराजा जबाहर सिंह ऐसे पहले वीर शासक थे जिन्होंने मुगल बादशाहत को दिल्ली में जाकर चुनौती दी थी और जीतकर अपनी शर्तों को मनमाने में कामयाब हुए थे ! महाराजा जवाहर सिंह अपने दादा राजा बदन सिंह और पिता महाराजा सूरजमल के आदर्शो पर चलकर हिन्दू धर्म को मुगलों के सामने सिर उठाकर रहना सिखाया था।
दिल्ली फतेह के बाद जवाहरसिंह ने पूरी तरह शासन−सत्ता सँभाल ली। उन्हें सेना को नये ढंग से संगठित किया; उन्होंने बड़े−बड़े युद्ध किये और उन सब में सफलता प्राप्त की थी। उनके रण−कौशल, साहस और पराक्रम की दुंदभी चारों ओर बजने लगी थी जिससे उनका यश, वैभव शौर्य चारों तरफ फैल गया था। सन 1768 सावन सदी 15 संवत 1825 में महाराजा जबाहर सिंह हाथियों की लड़ाई देख रहे थे कि उनके विश्वासपात्र सुजान मेव ने अचानक उनकी गर्दन पर तलवार से वार कर दिया। दूसरे सैनिकों ने तत्काल प्रतिक्रिया दी और सूजन मेव के असँख्य टुकड़े कर दिये। तब तक महाराजा दम तोड़ चुके थे। कहते हैं कि पुष्कर यात्रा के कारण महाराजा जबाहर सिंह से कुछ राजा ईर्ष्या और बैर रखने लगे थे जिससे उन्होंने सुजान मेव से गुप्त षड़्यंत्र करके धोखे से जबाहर सिंह की हत्या करा दी। महाराजा जबाहर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने बालों में रामवीर सिंह तोमर, हरेश ठेनुआ, देवेंद्र सिंह पहलवान, रि इंस्पेक्टर श्यामपाल सिंह, जगदीश शर्मा, जगदीश रावत, रीतराम ठाकुर, भूपेंद्र सिंह चौधरी, रामफल सूबेदार, डॉ राधे, गोपाल फौजी, विक्रम सिंह चौधरी, उमा तोमर, रामेश्वर सिकरवार, रामेश्वर शर्मा, डॉ अशोक सिकरवार, भोला सिकरवार, अंकित तेहरिया, मदन सिंह, सौनवीर सिंह, गुड्डा मास्टर, धर्मवीर भरंगर, डॉ प्रकाश तोमर, दीपक तोमर, वेदप्रकाश तोमर, राजो तोमर, रणजीत सिंह, बलवीर सिंह तोमर, अमरीश बाबा, खडग सिंह नेता, एम एल शर्मा सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।