– साधु संतों के द्वारा विधि पूर्वक तथा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ झंडी गराई का रस्म में किया गया पूरा

– मलमास मेला को लेकर एक सप्ताह पूर्व से ही जुटने लगे थे साधु संत

✍️रंजीत कुमार विधार्थी
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⭕मुंगेर: सूबे बिहार का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल गर्म जल का कुंड ऋषिकुंड में राजगीर मेला के तर्ज पर एक माह तक चलने बाले मलमास मेला का शुभारंभ सोमवार की मध्य रात्रि साधु संतों के द्वारा विधिपूर्वक तथा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ झंडी गराई की रस्म के साथ शुभारंभ हो गया। मलमास मेला तथा झंडी कराई की रस्म को लेकर बिहार के कोने कोने से साधु-संतों का जत्था एक सप्ताह पूर्व से ही ऋषि-मुनियों की तपोभूमि ऋषिकुंड में पहुंचने लग गए थे। मेला को लेकर 15 दिन पूर्व से ही इस इलाके की हलचल बढ़ गई थी। प्रशासनिक अधिकारियों की टीम के साथ साथ क्षेत्रीय सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की निगाहें लगातार ऋषिकुंड में लगने वाली मलमास मेला पर बनी हुई थी। झंडी गराई की रस्म के दो दिन पूर्व सांसद ललन सिंह ने अधिकारियों के काफिले के साथ ऋषिकुंड का जायजा लिया था तथा अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिया था। बताते चलें कि पहाड़ की तराई में प्राकृतिक सौंदर्य की छटा बिखेरने बाले ऋषिकुंड में हर तीन साल पर मलमास मेला का भव्य आयोजन स्थानीय श्रद्धालुओं के द्वारा किया जाता है । 17 जुलाई की मध्यरात्रि झंडी गराई की रस्म अदा की गई। 30 दिनों तक यहां मलमास मेला चलेगी। यहां एक महीने तक बिहार एवं झारखंड के कोने-कोने से आए साधु संतों की टोली गर्म जल का कुंड ऋषिकुंड में रहकर पूजा अर्चना और अपनी तपस्या करते हैं। वैदिक मंत्रोच्चारण तथा पूजा पाठ से ऋषिकुंड का इलाका गुंजायमान हो उठा है। सोमवार को रामधून का भी शुभारंभ पुरोहितों के द्वारा किया गया। प्रशासनिक स्तर पर ऋषिकुंड की साफ सफाई के साथ-साथ रंग रोहन किया गया है। कुंड की दीवारों पर जल जीवन हरियाली का संदेश देते हुए चित्र आकर्षक ढंग से बनाया गया है। पहुंच पथ का भी पक्की करण किया गया है। ऋषिकुंड में आयोजित मलमास मेला में आने वाले लोगों की सुविधा को लेकर जिला प्रशासन की ओर से सभी तरह की व्यवस्था की गई है। स्वच्छता को लेकर जगह-जगह डस्टबिन रखा गया है। पेयजल, शौचालय, चिकित्सा तथा सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं। मेले में 24 घंटे नियंत्रण कक्ष काम करेगा। साथ ही मेला में आयोजन समिति के कार्यकर्ता भी श्रद्धालुओं की सेवा में तैनात रहेंगे। बताते चलें की प्रसिद्ध श्रृंगीऋषि पर्वत श्रद्धालुओं की तलहटी में अवस्थित गर्म जल का कुंड के लिए प्रसिद्ध ऋषिकुंड को विकसित किए जाने की योजना को भी अब स्वीकृति मिल चुकी है। मलमास मेला शुरू होने से 02 दिन पूर्व राज्य सरकार ने इसे राजगीर मेला के तर्ज पर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना को स्वीकृति प्रदान की है । पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना को सरकार की हरी झंडी मिलने से इलाके के लोगों में खुशी का माहौल देखा जा रहा है। ऋषि-मुनियों की तपोभूमि ऋषि कुंड पहाड़ की तराई में स्थित है। पहाड़ की तराई से गर्म जल प्रवाहित होता है। यहां 07 कुंड अवस्थित है। सातों कुंड में पहाड़ से निकलने वाले गर्म पानी एकत्रित होकर एक विशाल जलाशय में जमा होता है। जिसमें श्रद्धालु गर्म जल का लुफ्त उठा कर पूजा अर्चना करते हैं। विभिन्न देवी-देवताओं की मंदिर भी यहां श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती रही है। गर्म जल कुंड के लिए सूबे बिहार में प्रसिद्ध ऋषिकुंड में लगने वाले मलमास मेला में लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। ऋषिकुंड के बारे में पौराणिक मान्यता यह भी है कि राजा दशरथ को यही तपस्या करने के बाद भगवान राम जैसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। इसके अलावा ऋषि-मुनियों तपस्या की गाथा भी यहां से जुड़ी हुई है। साधु संत बताते हैं कि ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहने के कारण इस स्थल का नाम ऋषिकुंड पङा।