🟥गोरखपुर। प्रदेश सरकार औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है ताकि प्रदेश में निवेश आ सके और लोगों को रोजगार मुहैया हो सके।

इसी क्रम में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भूमि इत्यादि भी सस्ते दामों में उपलब्ध करा रही है। वही गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी में विगत कई वर्षों वर्षों से स्थापित प्लाई बोर्ड बनाने की फैक्ट्री पर कार्रवाई करते हुए उसे गीडा ने जमीदोज कर दिया। इसी मामले को लेकर

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजे गये प्रार्थना पत्र जास इंटरनेशनल के मालिक पीड़ित जमालुद्दीन और सैफ जमाल ने कहा है कि वह गीडा प्राधिकरण में विगत सन 1995-1996 से ही औद्योगिक इकाई की स्थापना करते हुए उत्पादन की कार्यवाही कर रहे हैं। विगत वर्षों में शासन द्वारा प्रदेश में

औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने के सम्बन्ध में अनन्य प्रकार से सुविधाओं की घोषणा की गयी है। जिसके तहत प्रार्थी औद्योगिक क्षेत्र गौडा के सेक्टर-13 में प्लाईवुड की इकाई चला रहा है, जिसके
विस्तार की परम आवश्यकता विगत वर्षों से हो रही थी जिसमे कच्चे माल के तौर पर लकड़ियों आदि को स्टोर करने तथा सेमी फिनिश्ड गुड्स तैयार करने हेतु अतरिक्त भूमि की

आवयश्कता थी। इसी सापेक्ष में प्रार्थीगण द्वारा अपनी इकाई के विस्तारीकरण हेतु गीडा से जमीन की माँग वर्ष 2014 से लगातार की जा रही है तथा औद्योगिक भूखंड के आवंटन हेतु आवेदन भी किया गया था, किन्तु गीडा द्वारा कोई भूमि उपलब्ध नहीं कराया गया। प्रार्थी को स्थानीय ग्राम कालेसर के स्थानीय किसान/काश्तकार से जानकारी प्राप्त हुई कि गीडा के अधिग्रहण से कुछ भूमि मुक्त है।

जिसका स्थानीय काश्तकार द्वारा अपनी भूमि से सम्बंधित इन्तेखाब एवं खतौनी की प्रति भी उपलब्ध करायी गयी। सम्बंधित काश्तकार द्वारा यह भी बताया गया कि वह अपने निजी ज़रूरतों के कारण अपनी गीडा में अधिग्रहण से मुक्त भूमि का विक्रय करना चाहते हैं। प्रार्थी ने कहा चूँकि मौके से उक्त काश्तकार की भूमि भी प्रार्थी के

पाट कार्यरत इकाई से अत्यंत निकट था जहाँ कच्चे माल का स्टोर तथा सेमी फिनिश्ड गुड्स तैयार करना कार्यरत इकाई के हित में था। इसलिए प्रार्थी द्वारा उक्त भूमि को अपने पक्ष में क्रय करने की कार्यवाही सम्पादित करायी गयी।

प्रार्थी द्वारा भूखंड की रजिस्ट्री के लिए समस्त कागज़ात जिला उद्योग कार्यालय में जमा किया। जिला उद्योग केंद्र (उद्योग विभाग) एवं उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास
निगम जो उद्योग के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण विभाग है उनके द्वारा भी मामले की छानबीन करने के बाद दोनों विभागों द्वारा रजिस्ट्री पेपर पर हस्ताक्षर भी किया गया है उसके बाद ही प्रार्थी द्वारा भूमि का बैनामा (विक्रय विलेख) रजिस्टर्ड कराया गया। प्रार्थी का नाम दाखिल खारिज होकर के सरकारी अभिलेखों में चढ़ गया। उसके बाद लगभग एक वर्ष में इकाई की स्थापना कर उत्पादन शुरू कर दिया गया।
प्रार्थी द्वारा क्रय की गयी भूमि पर भवन, मशीनरी आदि स्थापित करने के लिए नीजी पूंजी, बैंक से ऋण तथा अन्य श्रोतों से लेकर लगभग 6.50 करोड़ रुपये निवेश किया
गया है, प्लाईवुड का लाइसेंस मिलने के बाद बैंक से ऋण लेकर और भी मशीन लगाने हेतु प्रयास कर रहे थे कि इसी बीच गीडा द्वारा विगत वर्ष 2019 में प्रार्थीगण के इकाई पर एक नोटिस चस्पा करते हुए यह बताया गया कि प्रार्थी की इकाई गीडा के अधिग्रहित भूमि पर स्थापित है।

जबकि प्रार्थी ने बताया कि भूमि क्रय से पूर्व इस सम्बन्ध में छानबीन की गयी थी। उक्त समय सम्बंधित तहसील एवं भूमि सम्बन्धी अभिलेखों में गीडा के नाम से भूमि दर्ज नहीं थी। उन्होनो आगे बताया कि उनकी इकाई में आग लगने की एक बड़ी घटना हो चुकी है उसमे करोड़ो का नुक्सान हुआ और इस बिंदु पर भी चर्चा जिलाधिकारी, गोरखपुर के समक्ष गीडा के सामने कई बार हुई, उस समय भी गीडा ने कोई आपत्ति नहीं किया था। लगभग तीन वर्ष बाद गीडा द्वारा उक्त भूखंड का कुछ भाग अपना बताया जा रहा है। उन्होने कहा है कि गीडा द्वारा तीन वर्ष की अवधी में प्रार्थी को कोई नोटिस नहीं दिया गया है।

प्रार्थी द्वारा स्थापित इकाई पर करोड़ो का निवेश करने के बाद इस प्रकार की नोटिस से प्रार्थी को जहाँ गहरा आघात लगा है वहीं इकाई में कार्यरत सैकड़ो कर्मियों के बेरोज़गारी का संकट उत्पन्न गया है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्रक में प्रार्थी ने अपील करते हुए कहा कि इस कार्यवाही से उसका परिवार कंगाल हो जायेगा तथा बैंक के ऋण भुगतान करने का उसके पास कोई स्त्रोत नहीं बचेगा, लिहाजा उसको इंसाफ दिलाया जाय।