डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी

हम सभी जानते हैं की शक्ति के बिना जीवन संभव नहीं है, शक्ति का होने का अर्थ ही है जीवन का होना, शक्ति के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं हो सकती । आदि जगद्गुरु शंकराचार्य को एक साधारण सी दही बेचने वाली महिला ने कहा था कि दही लेने के लिए मेरे पास आने भर की शक्ति नही है तो शक्ति की उपासना क्यों नहीं करते । इसी बात को शिरोधार्य करते हुये माता जी की आराधना कर एक साधारण से आचार्य शंकर जगद्गुरु शंकराचार्य के रूप में हमे प्राप्त हुए जिनको आज पूरी दुनिया जानती है, रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद आदि अनेक महापुरुष भारत भूमि पर देवी की उपासना कर सनातन संस्कृती के संवाहक रूप बन गए । अनादि काल से ही शक्ति की उपासना अनेक रूपों में किया जाता रहा है। देवी उपासना का श्रेष्ठ समय नवरात्रि का समय होता है । इसी क्रम में शारदीय नवरात्रि इस वर्ष गुरुवार से प्रारंभ होकर गुरुवार को पूर्ण होगी । एक तिथि क्षय होने से इस बार नवरात्रि आठ दिन की रहेगी । जिसके कारण इस बार ‘गुरु’ का विशेष योग बन रहा है । 7 अक्टूबर गुरुवार को आश्विन शुक्ल पक्ष एकम से प्रारंभ होकर दुर्गा महानवमीं 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी । वहीं 15 अक्टूबर दशहरा मनाया जाएगा ।
क्या है गुरु का विशेष योग?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु ज्ञान व बुद्धि के देवता होते हैं और उन्हें सभी देवताओं का गुरु माना जाता है, इसी कारण इन्हें देवगुरु की उपमा प्राप्त है । इस वर्ष गुरुवार को नवरात्रि का शुरू और समाप्त होना शुभ माना जा रहा है । ऐसा संयोग कई दशकों में एक बार बनता है ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 6 अक्टूबर बुधवार शाम 4:34 बजे से शुरू है । जो गुरुवार दोपहर 1:46 बजे तक रहेगी । इसी दिन सुबह घटस्थापन की जाएगी और मां की अराधना प्रारंभ हो जाएगी ।

नवरात्रि क्यों 8 दिन की मनाई जाएगी ? वस्तुत: इस बार तृतीया तिथि एवं चतुर्थी शनिवार के दिन ही पड़ रही है । जिसके कारण चतुर्थी का क्षय हो गया है चंद्रघंटा एवं कुष्मांडा की एक ही दिन पूजा की जाएगी । यही कारण है कि नवरात्रि आठ दिन मनाई जाएगी ।