🔴दरभंगा
*जल एवं हरियाली अमूल्य प्राकृतिक संसाधन, जनभागीदारी से होगा संरक्षण व प्रबंधन- डॉ चौरसिया*

महात्मा गांधी महाविद्यालय, दरभंगा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में सात दिवसीय विशेष शिविर के तीसरे दिन के कार्यक्रम का शुभारम्भ आगत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया, जिसमें महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ रामदेव चौधरी, भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ उपेंद्र प्रसाद एवं गृह विज्ञान विभागाध्यक्षा डॉ चंद्रा कर्ण आदि उपस्थित थे। डॉ ज्वाला चंद्र चौधरी ने आगत अतिथियों का स्वागत पाग, चादर, मोमेंटो व पुष्पगुच्छ देकर किया गया।
विशेष शिविर के द्वितीय सत्र के प्रथम चरण में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ रामदेव चौधरी ने व्याख्यान का विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि हम और हमारा समाज अगर जल संचयन के बारे में नहीं सोचेंगे तो हमारा समाज का भविष्य खतरे में पड़ जाएंगा। इस खतरे से उबराने के लिए मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखकर ही जल का सदुपयोग व जल का संचयन किया जा सकता है।
मुख्य वक्ता डॉ उपेंद्र प्रसाद ने ‘जल संरक्षण एवं संवर्धन’ विषय पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि जल के अत्यधिक व्यय को कम करना ही जल संरक्षण है, अगर इसके दुरुपयोग को नहीं रोकते हैं तो आने वाले समय में भयंकर विभीषिका उत्पन्न होगी। हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के लोग वर्तमान में उस दंश को झेल रहे हैं, इसीलिए आवश्यकतानुसार ही जल का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने जल संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने पर बल दिया है। साथ ही सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं को गिनाया तथा उक्त योजनाओं को धरातल पर लाने में सहयोग करना व सरकार द्वारा बताएं गये बातों पर अमल करना चाहिए।
वहीं सह वक्ता डॉ चंद्रा कर्ण ने कहा कि ‘जल है तो कल है’ इस मोटो को ध्यान में रखकर ही सही व सार्थक प्रयास से जल का संरक्षण किया जा सकता है। दैनिक जीवन में जल का सदुपयोग खाना बनाने में, वर्तन धोने, कपड़ा धोने व खेत की सिंचाई आदि में करेंगे तो आने वाले समय में जल की किल्लत से बचाया जा सकता है।
शिविर के द्वितीय सत्र में *’जल, जीवन और हरियाली ‘* विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में सी एम कॉलेज, दरभंगा के बर्सर एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि जल हमारे जीवन के लिए अमृत के समान है, जिसके एक बूंद-बूंद का संरक्षण एवं सदुपयोग अनिवार्य है। जल प्रकृति प्रदत अमूल्य प्राकृतिक संसाधन है, जिसे जनभागीदारी से ही बचाया जा सकता है। धरती पर मात्र 3 से 4% जल ही उपयोग लायक है। भूजल जलस्तर का निरंतर घटना चिंतनीय एवं भविष्य के खतरे का द्योतक है। यदि हम अभी नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।
जल जीवन और हरियाली बिहार सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे आमलोगों की सहभागिता से फलीभूत किया जा सकता है। जल और हरियाली संरक्षण के उद्देश्य ही हमारे धार्मिक ग्रंथों में सभी प्राकृतिक संसाधनों में देवत्व की कल्पना की गई है।
डॉ चौरसिया ने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे जल और हरियाली के प्रति आमलोगों को जागरूक एवं संवेदनशील बनाएं, अन्यथा मानवीय सृष्टि समाप्त हो जाएगी। विभिन्न अवसरों पर अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर हम पृथ्वी के श्रृंगार वृक्ष की हरियाली को बचा सकते हैं।
इस अवसर पर प्रो राजकुमार साह, प्रो प्रेम कुमार, प्रो उत्तम लाल साहू, डा राधा कृष्ण प्रसाद, प्रो शत्रुघ्न साह, डा अजय कुमार, डा नसीमुद्दीन, प्रो बीपी यादव, प्रो नरुला हसन, डा चंद्रा कर्ण, प्रो भृगु प्रसाद व डा मदन लाल केवट तथा स्वयंसेवकों में सुमन कुमारी, नीशी,तुलसी, स्मिता, मनोज, राकेश, खुश रंजन, पुष्कर, कृष्णा आदि सहित 60 से अधिक व्यक्ति उपस्थिति थे।
कल द्वितीय सत्र के प्रथम कालांश में “सड़क पर यातायात की समस्या” एवं “विभिन्न प्रकार का प्रदूषण” पर व्याख्यान आयोजित किया जाएगा।
मंच संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के दलनायिका पद्मा श्री तथा धन्यवाद ज्ञापन दलपति मनोज कुमार ने किया।