🟥 रायबरेली / देश को आजाद हुए भले ही 70 वर्षों से ऊपर हो चुका हो किन्तु कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां पर विकास ने नाम पर आज तक लोगों को कोरा आश्वासन ही मिला है। एक ऐसा गांव जहां जानें के लिए एक किलोमीटर मीटर दूर खेत कि मेड़ों व पगडंडियों से होकर गुजर कर जाना पड़ता है। ग्रामीणों कि माने तो इस गांव में साल में सिर्फ एक महीने गेहूं कि फसल कटने पर शादियां होती हैं। जिसके बाद ग्यारह महीने शादी के लिए इंतजार करना पड़ता है । चार पहिया वाहन गांव न पहुंचने के कारण महिलाओं को डिलिवरी से एक माह पूर्व मायके भेज दिया जाता है। किसी के बीमार होने पर उसे चारपाई पर लिटाकर मुख्य मार्ग तक लाया जाता है। इन समस्याओ से ही ग्रसित हो कुछ ग्रामीणों ने मजबूरन गांव पलायन कर दिया। आज भी उनके घरों में ताले लटक रहे हैं । ग्रामीणों का कहना है कि हर बार विधायक हो या फिर प्रधान हर कोई वोट मांगते समय रास्ता बनवाने का झूंठा आश्वासन दे वोट लेकर चला जाता है। जिससे नाराज ग्रामीणों ने इस बार मतदान बहिष्कार का ऐलान कर गांव के बाहर रोड नहीं तो वोट नहीं का बैनर लगा दिया है।
दरअसल ताजा मामला जिला मुख्यालय से लगभग चालीस किलोमीटर दूर स्थित राजस्व ग्राम सभा सिरसिरा के पूरे गुसाईं इच्छन गोडा का है। जिसमें लगभग चालीस मकानों में तीन सौ ग्रामीणों कि आबादी बसी हुई है। गांव के बुजुर्ग ग्रामीणों का कहना है कि हमारी तीसरी पीढ़ी यहां रह रही है।। यहां के मूल निवासी होने के बावजूद आज तक गांव तक आने के लिए रास्ता नहीं मुनासिब हो सका।