दरभंगा / सी एम कॉलेज, दरभंगा की एनएसएस इकाई द्वारा ‘रक्तदान की महत्ता’ विषयक प्रतियोगिता का हुआ आयोजन*

*स्वैच्छिक रक्तदान कर समाजसेवा एवं राष्ट्रनिर्माण के सहयोगी बनें स्वयंसेवक- डा फूलो पासवान*

*ऑनलाइन माध्यम से आयोजित प्रतियोगिता में 25 स्वयंसेवकों की हुई भागीदारी,जबकि 60 से अधिक व्यक्ति हुए शामिल*

*स्वैच्छिक रक्तदान पीड़ित मानवता की सर्वोत्तम सेवा एवं सामाजिक सौहार्द्र का प्रतीक- डा चौरसिया*

*प्रतियोगिता में आंचल कुमारी- प्रथम, राहुल व जयप्रकाश- द्वितीय तथा अजय व पूनम तृतीय स्थान पाया*

सी एम कॉलेज, दरभंगा की एनएसएस इकाई के तत्वावधान में “रक्तदान की महत्ता” विषयक ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें आंचल कुमारी- प्रथम, राहुल प्रियदर्शी व जयप्रकाश कुमार साहू- द्वितीय तथा अजय कुमार झा व पूनम कुमारी ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम में आशीष, जूही, पूनम, नीतीश, अजय, विजय, आर्य शंकर, कोमल, आंचल, मनीष, अनिल, कमलेश, दीपेश, गौरी, तन्नुश्री, जयप्रकाश, काजल, राहुल, कीर्ति, मीनू , कुंदन, कृष्णा, बालकृष्ण, अमरजीत तथा अविनाश ने भाग लिया, जबकि प्रधानाचार्य डा फूलो पासवान, रेड रिबन क्लब के दरभंगा जिला नोडल पदाधिकारी डा आर एन चौरसिया, एनएसएस पदाधिकारी द्वय प्रो रितिका मौर्या, प्रो अखिलेश कुमार राठौर, एनसीसी पदाधिकारी डा शैलेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ चंदा कुमारी, अमन, दीपक, दीपेश, रंजू, रौनक, लक्ष्मी, करण, सत्यम, अन्नू, उत्कर्ष, गिरधारी, जयशंकर, मनीष, शशि, सुजीता व संतोष सहित 60 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।
प्रतियोगिता का उद्घाटन करते हुए प्रधानाचार्य डा फूलो पासवान ने कहा कि रक्तदान समाज के प्रति हमारा महान दायित्व है। यह सबसे बड़ा दान है, क्योंकि इससे मानवजीवन की रक्षा होती है। रक्तदान करने वाले को काफी भी लाभ मिलता है।इससे कई रोगों पर नियंत्रण होता है तथा शरीर में रक्त संचार बढ़ता है। उन्होंने हर स्वस्थ व्यक्ति से वर्ष में कम से कम 2 बार रक्तदान करने का आह्वान करते हुए कहा कि स्वयंसेवक स्वैच्छिक रक्तदान कर समाजसेवा एवं राष्ट्रनिर्माण के सहयोगी बनें।
मुख्य वक्ता के रूप में रेड रिबन क्लब, दरभंगा के जिला नोडल पदाधिकारी डा आर एन चौरसिया ने कहा कि स्वैच्छिक रक्तदान पीड़ित मानवता की सर्वोत्तम सेवा तथा सामाजिक सौहार्द्र का प्रतीक है। मानव रक्त अमूल्य है, जिसका कोई विकल्प नहीं है। एक यूनिट रक्तदान कर हम तीन से चार मरणासन्न व्यक्तियों की जीवन रक्षा कर सकते हैं। रक्तदान महादान, परम पुण्य दायक तथा मानव सेवा का सर्वोत्तम कार्य है। उन्होंने कहा कि कोई भी 18 से 65 वर्ष का स्वस्थ व्यक्ति हर तीन से चार माह पर रक्तदान कर सकता है, जिससे मोटापा, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग आदि का खतरा कम हो जाता है।
कार्यक्रम में शामिल लोगों का स्वागत करते हुए एनएसएस पदाधिकारी प्रो रितिका मौर्या ने कार्यक्रम एवं रक्तदान की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के संयोजक एवं एनएसएस इकाई दो के पदाधिकारी प्रो अखिलेश राठौर के संचालन में आयोजित प्रतियोगिता में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए एनसीसी पदाधिकारी डा शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि रक्तदान समाज के प्रति हमारी संवेदनशीलता का प्रतीक है। रक्त न मिलने के कारण प्रतिदिन 1000 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है।