✍️जय सिंह यादव रायबरेली

🔴रायबरेली । दलबदल की राजनीति में बीते दिनों सबसे अधिक चर्चा में रही ऊंचाहार विधानसभा में अबकी बार का चुनाव दिलचस्प मोड़ ले चुका है । पिछले एक दशक से अजेय रहे सपा के विधायक को जीत की हैट्रिक लगाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है । यहां से उनके सबसे बड़े विरोधी रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने के बाद से सियासी गलियारों में बदलाव की हवा बहने लगी है । उल्लेखनीय है कि ऊंचाहार की ब्लाक प्रमुख सत्यभामा मौर्य की भतीजी अंजलि मौर्य ने बसपा से दावेदारी करके चुनाव में काफी रोचकता पैदा कर दी है । पिछले कई वर्षों से क्षेत्र में मृदुल स्वभाव की अंजलि मौर्य को सक्रियता और स्थानीय होने का सीधा लाभ मिलने की संभावना में वह सबसे सशक्त दावेदार नजर आ रही हैं । बताते चलें भाजपा से दावेदारी पेश करने वाले अतुल सिंह कांग्रेस का दामन थामकर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं । जबकि भाजपा का बाहरी प्रत्याशी अमरपाल मौर्य पर लगाया गया दांव कट्टर भाजपाइयों को ही रास नही आ रहा है । गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी का एक खेमा जो कि सपा के निवर्तमान विधायक से नाराज है जिसका सीधा नुकसान उनको उठाना पड़ सकता है । ऐसी दशा में पिछले चुनावों के आंकड़ो को देखा जाए तो बसपा के कैडर वोटों और युवा चेहरे की लोकप्रियता के चलते अंजलि मौर्य अब तक सबसे मजबूत दावेदार बन चुकी हैं । फिलहाल वर्तमान परिस्थितियों और राजनैतिक हालातों के साथ ही चुनाव के प्रबंधन में भी अंजलि मौर्य सबसे अलग और प्रभावी साबित हो रही हैं । जिस प्रकार कांग्रेस के प्रत्याशी अतुल सिंह लगातार मेहनत कर रहे हैं उस पर गौर किया जाए तो वह सीधे सीधे सपा प्रत्याशी और बीजेपी का नुकसान कर रहे हैं । जिसका सीधा लाभ बसपा की उम्मीदवार अंजलि मौर्य को मिलना तय है । स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार ऊंचाहार की जनता बाहरी बनाम स्थानीय के साथ सर्वसमाज के विकास को लेकर सजग हो चुकी है । जिसके आधार पर यह कहा जाए कि इस बार अंजलि को मिल रहे अपार जनसमर्थन के कारण समाजवादी पार्टी के मनोज पांडे को अपने अभेध किले को बचाये रखना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है ।