✍️अब्दुल गफ्फार खान की रिपोर्ट
🔴गोरखपुर(ब्रह्मपुर)
चौरी चौरा तहसील क्षेत्र के विकास खंड ब्रह्मपुर के ग्रामपंचायत ब्रह्मपुर में तहसील मुख्यालय से 10किमी दूरी पर स्थित निंबेश्वर नाथ शिव मंदिर तथा पोखरा लोगो की आस्था का केंद्र है।विदित हो कि यह पूरा क्षेत्र जंगल ही जंगल था।यह पूरा क्षेत्र जंगल ही जंगल था। यहां एक ऋषि आए तथा उक्त स्थान पर कुंड बनाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गए।वहां नीम के पेड़ की बहुलता थी।नीम की पत्ती ही उनकी जीवन दायनी रही।सताशी नरेश कुष्ट रोग था।संवत 1857 में सतासी नरेश अपने लाव लश्कर के साथ भ्रमण पर निकले।यहां आने पर उन्हे शौच लगा।अपने आदमियों से जल लाने के लिए भेजा।जंगल में पानी खोजते खोजते उनके आदमी उसी कुंड तक पहुंच गए।कुंड से पानी लेकर गए।उस पानी के चमत्कार से उनका कुष्ठ रोग खत्म हो गया।राजा वहा आए तथा ऋषि से अनुनय विनय किए कि हमारे वहा आसन ले चलिए।लेकिन ऋषि उनकी बात से सहमत नही हुए।उसी समय राजा ने ब्रह्मपुर के मंशाराम दुबे को 7कोस का तालुका दान दे दिया।यह भी कहा जाता है कि देवताओं से कोलाहल नामक दैत्य से युद्ध चल रहा था।देवता गण युद्ध में हार गए थे।देवतागण भेष बदल कर
निंबाश्रम आए तथा भगवान शिव की आराधना में लीन हो
गए।शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और कहे कि आश्रम में आप लोग भगवान सूर्य की उपासना करे तभी सफलता मिलेगी।सभी देवता गण निंबकुंड में स्नान कर भगवान सूर्य की उपासना में लीन हो गए।बाद में देवताओं को विजयश्री मिली।कालांतर में इसे निम्बतीर्थ की ख्याति मिली।ऐसी मान्यता है कि द्वादस मंत्रों का पाठ करते हुए जो निंबेश्वर तथा सूर्य की उपासना करेगा उसे मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी।इतना ही नहीं निम्ब कुंड में स्नान करने से कुष्ठ रोग भी खत्म ही जाता है।
पुराणों में उल्लेख है की एक बार भगवान शिव ने पार्वती जी को बताया कि निंब तीर्थ जाने से सभी देवताओं के दर्शन तथा पूजन अर्चन का लाभ मिलता है।
यह लगभग 12बीघे भूमि पर मंदिर, नींब कुंड(पोखरा) तथा बाग है।वर्तमान में इसे सरकार द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कराया गया है।श्रवण मास में श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है। यहां गजेंद्र गिरी पूजा अर्चना कराते है।नई बाजार निवासी श्रद्धालु शंकर मध्येशिया बारहों मास भोर में पूजा अर्चना करने जाते है।इनका कहना है कि वहां जाने से शांति व शकुन तो मिलता ही है परिवार में भी शांति व शकुन रहता है।