मृत्युंजय विशारद की रिपोर्ट

देवरिया,27 मई।
दलहन और तिलहन की खेती की ओर अपना रूझान बढ़ाये किसान।जिससे देश को विदेशों से दलहन और तिलहन का आयात न करना पड़े। उक्त बातें सुर्यप्रताप शाही कृषि मंत्री ने विकास भवन सभागार में पत्रकारों से कही।
श्री शाही ने कहा कि हम विदेशों 15 हजार करोड़ रूपये की दाल देश में आयात करते है,और करीब 75 हजार करोड़ रूपये का खाद्य तेल भी विदेशों से आयात किया जाता है। दाल और खाद्य तेल उपभोक्ताओं को उपलब्ध हो सके भारत सरकार 90 हजार करोड़ रूपये व्यय करती है।जिसका भुगतान विदेशी मुद्रा में किया जाता है।
उन्होंने कहा कि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है।उसमें उत्तर प्रदेश जिसको प्राकृतिक संशाधन सर्वाधिक प्राप्त है।यहां किसान दलहन और तिलहन की खेती करने के लिये आगे बढ़े।
उन्होंने कहा कि पिछले साल हमारी सरकार ने 70 रूपये के सरसों पर 65 रूपये की सब्सिडी दिया था।किसान दलहन और तिलहन की खेती करने में आगे आये।
उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के बदहाल और गरीब किसानों की बदहाली दूर करने के लिये सरकार लगी है।बुंदेलखंड में हमारी सरकार ने खरीफ की फसल पर वहां 80 फीसदी सब्सिडी दी है। वहा के किसान खरीफ की फसल 8 लाख हेक्टेयर में करते थे।अब वहां किसान 13 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की फसल की खेती कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यदि बुंदेलखंड के किसान सिमित संशाधन के बल पर बदलाव करके वहां के किसान आज 48 फीसदी की हिस्सेदारी करके उत्तर प्रदेश के अन्दर अन्न की पैदावार कर रहा है। अन्य किसान क्यो नही कर सकते।
केन्द्र और प्रदेश की सरकार किसानों के कल्याण के लिये कार्य कर रही है। बाहर से आने के कारण डीएपी के दाम बढ़ने के बावजूज केन्द्र सरकार ने सब्सिडी बढ़ाकर 2400 रूपये कर दी, जिसे किसानों को पुराने दाम 1200 रूपये प्रति बोरा के हिसाब से दे रही है।
श्री शाही ने विकास भवन सभागार में ईफको और कृभको के सहयोग से आक्सीजन कन्सन्ट्रेटर,मास्क और सेनिटाइजर आदि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर आलोक पाण्डेय को सौंपा।
इस अवसर पर जिलाधिकारी आशुतोष निरंतर, सीडीओ शिव शरनप्पा जी एन,सदर विधायक डॉ सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी आदि अधिकारी मौजूद रहे।