बस्ती, 9 जुलाई 2021
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जिला महिला अस्पताल सहित 27 सीएचसी/पीएचसी पर गर्भवती की जांच की गई। हर माह की नौ तारीख को पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान का संचालन किया जाता है। इसका उद्देश्य समय से गर्भवती को इलाज व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देकर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम किया जाना है।
केंद्र सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना का संचालन उन अस्पतालों में किया जाता है, जहां पर एमबीबीएस चिकित्सक की तैनाती है। इसके तहत गर्भवती का पंजीकरण करने के साथ ही उसकी समय-समय पर चार बार जांच की जाती है। हाई रिस्क अर्थात कम खून, हाई बीपी, ज्यादा मोटापा सहित अन्य रोग से ग्रसित महिलाओं को इस अभियान के दौरान चिन्ह्ति किया जाता है तथा उनका पंजीकरण अलग से किया जाता है। हाई रिस्क वाली महिलाओं का प्रसव हॉयर सेंटर पर सुरक्षित हाथों से कराया जाता है।
सीएमओ डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि जिला महिला अस्पताल के अलावा सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पताल के साथ सीएचसी मुंडेरवा, पीएचसी ओड़वारा, चिलमा, दयानगर, इंदौली, सिंकंदरपुर व करमहिया सहित 27 अस्पतालों में यह कार्यक्रम संचालित किया गया। कार्यक्रम की मॉनीटरिंग के लिए 15 अधिकारियों को लगाया गया है, जो अपने क्षेत्र में पड़ने वाले अस्पतालों पर जाकर देखेंगे तथा कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करेंगे। उन्होंने बताया कि सभी सूचनाएं ऑनलाइन प्रेषित की जानी है। अस्पतालों से कहा गया है कि वह मरीज का विवरण ऑनलाइन दें। समय-समय पर पोर्टल पर मौजूद आंकड़ों की समीक्षा की जाती है। अस्पतालों में प्रसव आदि की व्यवस्था को और बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
यूनिसेफ के डिविजनल मॉनीटर सुरेंद्र शुक्ला ने सीएचसी हर्रैया पहुंचकर वहां चल रहे कार्यक्रम की जानकारी ली। स्टॉफ को बताया कि जो भी गर्भवती आ रही हैं, उनका पंजीकरण कराएं, तथा उन्हें बताएं कि प्रसव के पूर्व तक चार जांच जरूर कराएं। प्रसव हर हाल में अस्पताल में कराएं।
इस साल 2375 गर्भवती ने कराया पंजीकरण
पहली अप्रैल 2021 से अब तक 2375 गर्भवती ने विभिन्न अस्पतालों में पंजीकरण कराया है। मातृ स्वास्थ्य सलाहकार राजकुमार के अनुसार 14 ब्लॉक स्तरीय, जिला अस्पताल व नगरीय पीएचसी में गर्भवती का पंजीकरण किया जा रहा है। अब तक दूसरी व तीसरी तिमाही में जांच के लिए 1899 महिलाएं अस्पताल आईं। इस साल 247 एचआरपी गर्भवती चिन्ह्ति की जा चुकी हैं, जिनकी मॉनीटरिंग स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जा रही है। अस्पताल में गर्भवती की हीमोग्लोबीन, एचआईवी, जीडीएम, सिफलिस की जांच के साथ आवश्यकता पड़ने पर इनकी अल्ट्रासाउंड जांच भी कराई जा रही है।