डॉ शशि कांत सुमन
मुंगेर । बिहार के मुंगेर ‌जिला अंतर्गत नक्सल प्रभावित धरहरा प्रखंड में सोमवार की रात प्रसाद खाने के बाद 200 से अधिक लोग बीमार हो गए। धरहरा प्रखंड की बंगलवा पंचायत अंतर्गत कोठवा गांव में प्रसाद खाने के कुछ ही देर बाद सभी को उल्टी-दस्त होने लगी। इससे गांव में दहशत छा गया। इस घटना के बाद क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा की पोल उस वक्त खुल गयी जब बीमार लोगों को सड़क पर लिटाकर इलाज करना पड़ा।

छह बेड वाले एपीएचसी में बंद था ताला, बैरंग लौटे मरीज बताया जाता है कि कोठवा गांव में 200 से अधिक लोगों के बीमार होने के बाद आनन-फानन में मरीजों को लेकर कुछ लोग 06 बेड वाले अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे। वहां ताला लगा रहने के कारण ग्रामीण सभी मरीजों को वापस गांव लेकर आ गए। जहां संसाधन विहीन ग्रामीण चिकित्सकों ने सभी का इलाज शुरू किया गया। चूंकि बीमार लोगों की संख्या काफी अधिक थी, ऐसे में गांव की सड़क पर ही मरीजों को लिटा कर सूई व स्लाइन चढ़ाने का इंतजाम ग्रामीण चिकित्सकों ने किया।

साधन संपन्न लोगों ने किया बड़े अस्पतालों का रूख
इस दौरान फूड प्वाइजनिंग के शिकार कई लोग इलाज कराने सीएचसी धरहरा एवं स्थानीय क्लिनिक में चले गए। लिहाजा फूड प्वाइजनिंग से कितने लोग बीमार हुए हैं, इसकी सटीक जानकारी अब तक नहीं मिल पाई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने 177 लोगों को फूड पॉइजनिंग की बात स्वीकार की है। ग्रामीणों की मानें तो यह घटना गांव में शाम करीब 6:00 बजे हुई। उसी वक्त ग्रामीणों ने पीएचसी प्रभारी को इसकी सूचना दी। परंतु स्वास्थ्य विभाग की टीम रात लगभग 9 बजे प्रभावित गांव कोठवा पहुंची। इधर जानकारी मिलने पर थानाध्यक्ष नीरज कुमार ठाकुर भी दल-बल के साथ कोठवा गांव पहुंचे और वरीय अधिकारियों को वस्तुस्थिति से अवगत कराया। फूड प्वाइजनिंग के शिकार रामलाल कोड़ा ने बताया कि कोठवा गांव निवासी महेश कोड़ा के घर सत्यनारायण भगवान का कथा संपन्न हुआ था। पूजा के पश्चात लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। प्रसाद को ग्रहण करने के लिए भारी संख्या में गांव के बच्चे, बूढ़े व महिलाएं पहुंची थीं। प्रसाद खाने के आधे घंटे बाद ही लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी और सभी को उल्टी होने लगी। रामलाल ने बताया कि प्रसाद खाने से उनकी पत्नी ननकी देवी, 7 वर्षीय पुत्र सुनील एवं 5 वर्षीय अनिल सहित एक सौ से अधिक लोग बीमार हुए हैं।

मरीजों की तादाद इतनी कि बाजार में खत्म हो गयी प्राथमिक उपचार की दवा प्रसाद खाने से बीमार लोगों का इलाज कर रहे ग्रामीण चिकित्सक वीरेंद्र स्वर्णकार ने बताया कि उन्होंने लगभग 70 बच्चों का प्राथमिक उपचार कर दिया है। उनके पास एवं बंगलवा बाजार में प्राथमिक उपचार की दवा भी खत्म हो चुकी है। ग्रामीण अशोक मिस्त्री बताते हैं कि जिस घर में पूजा थी उस घर में भी सारे लोगों ने प्रसाद का सेवन किया था और अचानक सब की तबियत खराब हो गई।

धरहरा सीएचसी व मुंगेर सदर अस्पताल जाने के लिए नहीं मिला साधन
बंगलवा बाजार से धरहरा पीएचसी एवं मुंगेर सदर अस्पताल की दूरी अधिक होने और रात्रि में कोई साधन नहीं मिलने के कारण लोगों के लिए वहां जाना संभव नहीं हो सका। गांव में बच्चों एवं महिलाओं की स्थिति अचानक इतनी बिगड़ गई कि उचित इंतजाम नहीं होने के कारण आनन-फानन में ग्रामीण चिकित्सकों से ही इलाज कराना पड़ा। संसाधन नहीं होने के कारण सड़क पर ही मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिया गया। सड़क पर बैठे मरीज।
सूचना के तीन घंटे बाद कोठवाा पहुंची मेडिकल टीम गौरतलब है कि कोठवा गांव में बीमार लोगों की बढ़ती संख्या देख लोगों ने पीएचसी को सूचित कर दिया था, लेकिन तीन घंटे बाद मेडिकल टीम के पहुंचने पर ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा। गांव के लोगों का दावा है कि घटना की जानकारी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ महेंद्र कुमार को दी गयी थी। मेडिकल अफसर ने मामले को हल्के में लेते हुए मरीजों को लाने के लिए एम्बुलेंस भेज दिया। जबकि हालात ऐसे थे कि तत्काल मेडिकल टीम गांव में भेजा चाहिए था।सिविल सर्जन ने कहा- प्रभावित गांव में भेजे गए हैं दो डॉक्टर
बाद में वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर पीएचसी प्रभारी सहित एक अन्य डाक्टर व नर्स देर रात करीब 9 बजे कोठवा गांव पहुंचे। इस बाबत सिविल सर्जन डा. हरेन्द्र कुमार आलोक ने बताया कि 02 एम्बुलेंस के साथ धरहरा पीएचसी प्रभारी डा. महेन्द्र एवं डा. एनके महतो को प्रभावित गांव भेजा गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम फूड प्वाइजनिंग के शिकार सभी लोगों का फॉलोअप कर रही है।