प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा की सरकार निर्भया फण्ड का उपयोग न करना, महिलाओं और बालिकाओं के प्रति संवेदन शुन्यता को दर्शाती हैं। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोबिंद माथुर तथा न्यायमूर्ति एस एस शमशेरी की खण्ड पीठ ने राज्य सरकार को विस्तृत जवाब देने का आदेश दिया है। अधिवक्ता ममता सिंह द्वारा कोर्ट को बताया की

सरकार द्वारा हिंसा पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं के सहायता हेतु बनाई गई निर्भया फण्ड बनाया गया है। इसके उपयोग न होने से फंड सरकार पर प्रश्न चिन्ह है।उन्होंने कोर्ट को बताया की 2013 में दिल्ली में निर्भया नामक युवती के अमानुषिक बलात्कार और निर्मम हत्या के बाद पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं के मदद के लिए वित्तीय वर्ष 2013-14 में केंद्र सरकार ने एक हज़ार करोड़ की राशि स्वीकृति की थी। इस राशि मे महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा में खर्च करना था जिसके लिए केंद्र सरकार ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये थे। 2019 में निर्भया फण्ड की कुल राशि एक हज़ार करोड़ के बढ़ा कर दी गयी जिसमे से 2,264 करोड़ रुपये राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित कर दिया। राज्य सरकार द्वारा इस फण्ड को ठंडे बस्ते में डाल दिया और अब तक पूरी राशि का मात्र 11 प्रतिशत ( 252 करोड़ ) ही खर्च किया गया है। 18 राज्यो के उपलब्ध आकड़ो के अनुसार केवल 15 प्रतिशत फण्ड खर्च किया गया। 2019 तक महाराष्ट्र में एक भी पैसा खर्च नही किया गया। त्रिपुरा और केरल ने अपने निर्भया फंड से मात्र तीन प्रतिशत, मणिपुर ने चार प्रतिशत, गुजरात, पश्चिम बंगाल और दिल्ली ने पांच प्रतिशत खर्च किया और तेलंगाना, कर्नाटक और उड़ीसा ने अपने निर्भया फण्ड से केवल 6 प्रतिशत व्यय किया। दूसरी ओर महिला और बालिकाओं के विरुद्ध हिंसा में रिकॉर्ड बढोत्तरी हुई है। 2015 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की 329,243 घटना रिपोर्ट हुई जबकि 2016 में यह बढ़कर 338,954 हो गयी, और 2017 में यह आंकड़ा 359, 849 को छू गयी। बालिकाओं के विरुद्ध भी हिंसा के आंकड़े दिल दहलाने वाले है। 2015, 2016 , 2017 में यह 94,172, 106958 और 129032 रही। ये सारे आंकड़े सरकार के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के हैं ।2017 में बलात्कार की 32559 घटनाये रिपोर्ट हुई जिसमें नाबालिग बालिकाओं से रेप की घटना 17,382 53 प्रतिशत रही। निर्भया फण्ड जारी करते समय सहायता हेतु बहुत सारी संस्थाओं के निर्माण के आदेश दिए गए जिसका निर्माण और संचालन नही किया गया। उत्त्तर प्रदेश महिला और बालिकाओं के खिलाफ अपराध, हिंसा में देश के अन्य तीन राज्यो के साथ सबसे ऊपर रहा। अपहरण की 8721 घटनाओं में 80. 67 प्रतिशत अपहरण बालिकाओं के हुए, उन्नाव , हाथरस और बदायू की जघन्य बलात्कार और हत्या की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। अगली सुनवाई 2 फरवरी को है।