⭕संत कबीर नगर हीरालाल रामनिवास स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग में “21वीं शताब्दी में प्राचीन भारतीय इतिहास लेखन की चुनौतियां” विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का

आयोजन हुआ । व्याख्यान संयोजक डॉ मनोज कुमार मिश्र ने बताया कि 21वीं शताब्दी में भी प्राचीन भारतीय इतिहास को संकलित करने के लिए नवीन चुनौतियां प्रकट हो सकती हैं । मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर बाल मुकुंद पांडे, (संगठन सचिव अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना)

ने अपना उद्बोधन दिया । आज 21वीं शताब्दी में हमको इतिहास देखने की दृष्टि को बदलने की आवश्यकता है । यूरोप केंद्रित इतिहास लेखन से हटकर हमें भारतीय दृष्टिकोण से भारत के इतिहास को समझना होगा । इतिहास में केवल आक्रांताओं का वर्णन ही नहीं अपितु

भारतीय समाज और संस्कृति का संपूर्ण प्रकटीकरण होना चाहिए । पुरातत्त्व में प्राप्त सामग्रियों को भारत के वृहद आख्यानों के आलोक में देखने की कोशिश करनी चाहिए । सरस्वती सिंधु सभ्यता के पुरावशेषों को भी भारतीय आख्यानों के संदर्भ में देखने की आवश्यकता है । 21वीं शताब्दी में

भारत का इतिहास स्वतंत्र दृष्टिकोण से लिखने की आवश्यकता है । इसके लिए शोधार्थियों एवं शिक्षकों को भारतीय दृष्टि को अपनाना चाहिए । भारत की दृष्टि से जब इतिहास लेखन होगा तो भारत राष्ट्र का आत्मविश्वास बढ़ेगा । भारतीय दृष्टि को बढ़ाने के लिए हमें भारत के साहित्यिक ग्रंथों का गहनता से अध्ययन करना चाहिए ,

साथ ही काशी प्रसाद जायसवाल, रमेश चंद्र मजूमदार, वासुदेव शरण अग्रवाल, पंडित भगवत दत्त जैसे इतिहासकारों की कृतियों का पुनः अध्ययन करना चाहिए । 21वीं शताब्दी के वातावरण में हमें पुनः भारतीय इतिहास को संकलित करना होगा जिसमें भारत की उपलब्धियों का सत्य स्वरूप

सामने आ सके । अध्यक्षीय उद्बोधन के रूप में प्राचीन इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर प्रताप विजय कुमार ने बताया कि प्रत्येक इतिहास पर समकालीनता का प्रभाव रहता है । समकालीन विचार इतिहास लेखन के स्वरूप को दृष्टि प्रदान करते हैं । प्रोफेसर विजय कृष्ण ओझा ने स्वागत वक्तव्य दिया साथ ही यह भी बताया कि प्राचीन भारत में धर्म अर्थ काम मोक्ष की

शिक्षा देने वाला तथा उपदेश समन्वित पूर्व वृतांत ही इतिहास कहा जाता था। इतिहास को पंचम वेद भी कहा गया है । इस अवसर पर प्रोफेसर विजय कुमार राय डॉ राजेश चंद्र मिश्र डॉक्टर पूर्णेश नारायण सिंह डॉ संध्या राय डॉ विजय कुमार मिश्र, श्री विनय कुमार सिंह श्री विद्या भूषण श्री फखरे आलम श्री

विजय बहादुर सुश्री दीपसी डॉ अनुपम पति त्रिपाठी डॉ अमित मिश्रा डॉ महेंद्र सुल्तानिया डॉक्टर बजरंग प्रताप मिश्र, डॉक्टर कन्हैया सिंह (संगठन सचिव गोरक्ष प्रांत), डॉक्टर धर्मेंद्र मौर्य (सह प्रचार प्रमुख गोरक्ष प्रांत) तथा महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे ।