🔴जौनपुर / आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, अमिहित जौनपुर-2 के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने बताया कि गाजर घास आज के समय में फसलों के लिए बहुत बड़ी समस्या उभर रही है, उन्होंने कहा कि गाजर घास 1 साल की पौधा है जो 90 सेंटीमीटर से डेढ़ मीटर तक ऊंचा होता है इसकी पत्तियां गाजर या गुलदाउदी की पत्तियां की तरह होती है। इसमें वर्षभर सफेद रंग के छोटे-छोटे फूल लगते हैं।फसलों के साथ-साथ मनुष्य एवं पशुओं को भी हानि पहुंचाता है । जिसका नियन्त्रण करना बहुत जरुरी है।-केंद्र के वैज्ञानिक इंजी अरुण कुमार ने बताया कि उसकी लुगदी से विभिन्न प्रकार के कागज तैयार किए जा सकते हैं बायोगैस में गोबर के साथ मिलाया जा सकता है। शस्य वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार ने गाजर घास के रोकथाम के तरीके बताएं जिसमें उन्होंने बताया कि गाजर घास को यांत्रिक रसायनिक एवं जैविक विधि द्वारा प्रबंधन किया जा सकता है जिसमें 20 से 25 दिन के पौधों को आसानी से उखाड़ कर गड्ढे में दबा दें। डॉ कुमार ने कहा कि गाजर घास के ऊपर 20% साधारण नमक की खोल को बनाकर छिड़काव करें। रसायनिक नियंत्रण के लिए ग्लाइफोसेट 1.0-1.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर 500 -600 लीटर पानी के साथ मिलाकर खाली जमीन में स्प्रे करें, सोडियम क्लोराइड 15% तथा अमोनियम सल्फेट 20 % का घोल घास के फूल आने तक कभी भी 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर खेतों में एक समान रूप से छिड़काव कर देना चाहिए। जैविक विधि में मैक्सिकन बीटल जो इस खरपतवार को बहुत अच्छी प्रकार दे खाते हैं, बीटल को इसके ऊपर छोड़ देना चाहिए। केन्द्र के कृषि अभियंत्रण वैज्ञानिक इंजी बरूण कुमार के कहा कि गाजर घास का इस्तेमाल कागज, गत्ता बनाने के किया जा सकता है। बायो गैस उत्पादन में गोबर के मिलाकर इस्तेमाल करें।
पशुपालन वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया कि पशुओं के लिए यह गाजर घास अत्यधिक विषाक्त होता है इसकी खाने से पशुओं में अनेक प्रकार के रोग पैदा हो जाते हैं एवं दुधारू पशुओं के दूध में कड़वाहट के साथ-साथ दूध उत्पादन में भी कमी आने लगती है। कृषि वानिकी वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार ने बताया कि गाजर घास खरपतवार से फलों एवं सब्जियों की उत्पादकता एवं गुणवत्ता प्रभावित होती है । इस कार्यक्रम के आयोजन में श्री प्रदीप कुमार यादव, सचिन यादव, विवेक सिंह, विश्वजीत सिंह आदि लोगों का सहयोग रहा।