🟥वाराणसी हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का बहुत महत्व माना जाता है। हरतालिका तीज का व्रत हर साल भाद्रमास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए ये व्रत करती हैं। माना जाता है कि अगर कुंवारी लड़कियां भी ये व्रत करें तो उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होती है। वहीं, महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत करती हैं।

ऐसा माना जाता है कि हरतालिका व्रत को करने के बाद ही माता पार्वती को भगवान शिव पति के रूप में मिले थें। इसीलिए इस दिन अगर कोई विवाहिता व्रत करती है तो भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्‍न होकर उन्हें अखंड सौभाग्‍यवती होने का आशीर्वाद देते हैं। इस बार हरतालिका तीज की तिथि जैसा कि हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरतालिका तीज मनाई जाती है। वहीं, इस साल पंचांग के अनुसार यह तिथि 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर शुरू होगी और 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को रखा जाना चाहिए। पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज के दिन यानी 18 सितंबर को सुबह 6 बजकर 7 मिनट से लेकर 8 बजकर 34 मिनट तक पूजा करने का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद सुबह 9 बजकर 11 मिनट से 10 बजकर 43 मिनट तक भी पूजा करने का अच्छा मुहूर्त है। वहीं, दोपहर 3 बजकर 19 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 51 मिनट तक भी पूजा की जा सकती है। हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह स्‍नान के बाद नए वस्‍त्र पहनकर इस व्रत का संकल्प लेकर दिन की शुरुआत कर सकती हैं। इसके बाद महिलाएं हाथों में मेंहदी लगाकर, संपूर्ण सोलह श्रृंगार करें। हरतालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।इसलिए अब मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं अब भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें।इसके बाद भगवान शिव को फूल,बेलपत्र और शमीपत्र अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इसके अलावा आपको तीनों देवी-देवताओं को वस्त्र अर्पित करना है। इसके बाद हरितालिका तीज व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।भगवान गणेश जी की आरती करें।
अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।
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