विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत एईएस व जेई से बचाव का प्रयास

🔴बस्ती, 12 जुलाई 2022 ।

स्कूल न आने वाले बच्चों का आशा कार्यकर्ता उनके घर पहुंचकर उनका हाल जानेंगी। लगातार सात दिनों तक स्कूल से गैर हाजिर रहने वाले बच्चों की सूचना स्कूल के शिक्षक द्वारा स्वास्थ्य विभाग को दी जाएगी। अगर बच्चा बुखार व किसी अन्य बीमारी से ग्रसित पाया जाता है तो आशा उसके इलाज में सहयोग प्रदान करेंगी। विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत जापानीज इंसेफेलाइटिस (जेई) व एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की रोकथाम के प्रयासों के क्रम में स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्कूल जाने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर भी नजर रखी जा रही है।

जिला मलेरिया अधिकारी आइए अंसारी ने बताया कि आम तौर से सात दिनों तक आने वाले बुखार के दौरान अगर झटके आते हैं तो यह मामला एईएस या जेई का हो सकता है। जानकारी के अभाव में अभिभावक झोलाछाप या दवा की दुकान से दवा लेकर बुखार का इलाज कराते रहते हैं। ऐसी दशा में मरीज की हालत और बिगड़ सकती है, इसके विपरीत अगर समय से इलाज शुरू हो जाए तो मरीज की जान बचाने के साथ ही उसे दिव्यांग होने से भी बचाया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि पहली जुलाई से चल रहे विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के प्रति परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को विशेष रुप से प्रशिक्षित किया गया है। शिक्षकों से कहा गया है कि अगर उनके यहां तीन दिन से लेकर एक सप्ताह तक कोई बच्चा बिना किसी सूचना के नहीं आ रहा है तो इसकी सूचना वह स्थानीय आशा या संबंधित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) को दें। सीएचसी से सूचना आशा को प्रेषित की जाएगी। आशा बच्चे के घर जाकर उसके बारे में जानकारी लेंगी। बच्चे के बुखार आदि से पीड़ित होने की दशा में उसके इलाल का प्रबंध कराने की जिम्मेदारी आशा की होगी।

बच्चे को बुखार हो तो 108 नंबर पर करें डॉयल
एसीएमओ वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ.एफ हुसैन ने बताया कि अगर किसी बच्चे को तेज बुखार हो रहा है तो तत्काल 108 नंबर एंबुलेंस को काल करें। बच्चे को स्थानीय अस्पताल में ले जाकर उसकी जांच कराएं। उन्होंने बताया कि यह मौसम संक्रामक बीमारियों के फैलने का है। इसी मौसम में एईएस व जेई के भी मामले ज्यादा आते हैं। उन्होंने बताया कि सभी सीएचसी पर इंसेफ्लाईटिस ट्रीटमेंट सेंटर संचालित होने के साथ ही हर्रैया, गौर व कुदरहा सीएचसी में मिनी पीडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट संचालित है। इसके अलावा जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में पीआईसीयू संचलित है। वहां पर प्रशिक्षित चिकित्सकों की तैनाती है। समय से अगर इलाज शुरू हो जाए तो मरीज पूरी तरह स्वस्थ्य हो सकता है।