🛑दरभंगा बिहार

*समारोह में महापौर, उप महापौर, डॉक्टर, प्रोफेसर, सामाजिक कार्यकर्ता तथा रक्तदाताओं ने रखे विचार*

*कम से कम तीन बार रक्तदान करने वाले 150 से अधिक रक्तदाताओं का किया गया सम्मान*

रक्तदान इंसानियत के लिए पुण्य का कार्य है। इसके लिए लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करने की जरूरत है। उक्त बातें दरभंगा नगर निगम की मेयर अंजुम आरा ने सोसायटी फर्स्ट, दरभंगा के द्वारा टाउन हॉल में आयोजित “रक्तवीर सम्मान समारोह- 2023” का उद्घाटन करते हुए कही।

उन्होंने आयोजनकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए सम्मानित होने वाले सभी रक्तदाताओं को बधाई दी।
सम्मानित अतिथि के रूप में उप महापौर नाजिया हसन ने कहा कि आज का दिन गौरवपूर्ण एवं यादगार है।

अब किसी भी धर्म, जाति के युवा- युवतियां रक्तदान कर रहे हैं जो इंसानियत की बड़ी पहचान है। यह बहुत बड़ी नेकी का काम है। रक्तदान से अत्यधिक सुकून मिलता है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे रक्तदान के लिए अधिक से अधिक आगे आएं।

विशिष्ट अतिथि के रूप में शिशु रोग विशेषज्ञ डा उत्सव राज ने कहा कि रक्त के अभाव में जच्चा एवं बच्चा की काफी संख्या में मृत्यु हो जाती है। ब्लड बैंक में हमेशा अधिक रक्त होना चाहिए, ताकि लावारिस, दूरस्थ एवं गरीब रोगियों को भी निर्बाध रूप से रक्त मिल सके।
रेड क्रॉस सोसाइटी के सचिव मनमोहन सरावगी ने आयोजक संस्था को बधाई देते हुए कहा कि रक्तदाता महान होते हैं। रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक एवं जोर भी दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि दरभंगा में आई बैंक चालू हो गया है।

अतः मृत व्यक्ति के नेत्रदान हेतु भी उनके परिवार को प्रेरित किया जाना चाहिए। अम्मार यासिर ने कहा कि रक्तदान करने से हमें दाता होने का बोध होता है। इससे हमारा ईगो भी दूर होता है। हमारे लिए समाज पहले होना चाहिए।

टारगेट इंस्टिट्यूट के सोनू ने कहा कि रक्तदाताओं के चेहरे पर खुशी होती है। वे किसी जाति, धर्म, रंग या क्षेत्र से बंधे नहीं होते हैं।
अध्यक्षीय संबोधन में मिथिला विश्वविद्यालय के संस्कृत- प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि रक्तदान जीवनदान एवं महादान होता है, जिससे परम शांति एवं आंतरिक आनंद की प्राप्ति होती है। यह पीड़ित मानवता की रक्षा तथा समाजसेवा का सर्वोत्तम माध्यम है। रक्तदान करने से किसी भी प्रकार की कमजोरी या नुकसान

नहीं होता है, वल्कि रक्त निर्माण की प्रक्रिया तीव्र हो जाती है और कई तरह की बीमारियों का निःशुल्क जांच हो जाता है। 18 से 65 वर्ष का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति प्रत्येक तीन से चार महीने में रक्तदान कर सकता है। एक यूनिट रक्तदान से 3 से 4 व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती है। विशेष रूप से दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति, ऑपरेशन वाले रोगी, डिलीवरी वाली महिला, रक्त कैंसर ग्रस्त, थैलेसीमिया रोग पीड़ित या हीमोग्लोबिन की कमी से जूझ रहे व्यक्ति को रक्त की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि रक्त को कृत्रिम तरीकों से प्रयोगशालाओं में नहीं बनाया जा सकता है, न ही पशु- पक्षियों के रक्त से मानव का जीवन बचाया जा सकता है।
सम्मान समारोह में डेढ़ सौ से अधिक रक्तदाताओं को प्रमाण पत्र तथा स्मृतिचिह्न से सम्मानित किया गया, जबकि अतिथियों का स्वागत पाग, चादर तथा मोमेंटो से किया गया।

कार्यक्रम में ग्रेस हॉस्पिटल, मधुबनी के डा इकबाल हसन, डा आमीर हसन, टारगेट इंस्टिट्यूट के निदेशक अधिवक्ता मोहम्मद अशफाक, ब्लड डोनेशन इंसानियत के लिए के सदस्य अब्दुल मलिक, सोसाइटी फर्स्ट के सदस्य एम के नाजिर, पर्यावरण मित्र संजय कुमार, 21 बार के रक्तदाता दिव्यांग बैद्यनाथ कुमार, 25 बार के रक्तदाता प्रकाश झा, मो जावेद, रक्तदाता आनंद अंकित, जयप्रकाश कुमार साहू, मनोज कुमार, मुकेश कुमार झा तथा प्रणव कुमार आदि ने भी विचार रखें।

अतिथियों का स्वागत एवं संचालन करते हुए सोसाइटी फर्स्ट के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक नजिरुल होदा ने संस्था के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए बताया कि यह शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्था है जो रक्तदान शिविरों के आयोजन के साथ ही रक्तदान जागरूकता कार्यक्रम तथा रक्तदाता सम्मान समारोह आदि आयोजित करती है।