डॉ शशि कांत सुमन
नई दिल्ली । बिहार में सुप्रीम कोर्ट ने बालू खनन पर लगी रोक को हटाने का निर्देश दिया है। राज्य खनन विभाग को निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बालू खनन पर रोक से राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रही है। बता दें कि बालू खनन को लेकर राज्य सरकार ने जो फैसला किया था उसको एनजीटी ने अपने गाइडलाइन के खिलाफ माना था और इसी वजह से बालू खनन के आदेश पर रोक लगा दी गई थी। बालू खनन पर रोक होने से राजस्व का नुकसान हो रहा था इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को बालू खनन की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि बालू उत्खनन के रोक से सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है। बालू खनन के मुद्दे से निपटते समय पर्यावरण की सुरक्षा मानकों को सुरक्षित करने के लिए यह आदेश बहुत जरूरी था। जिस तरह अवैध खनन हो रहा था और लोगों के बीच संघर्ष देखा जा रहा था । इससे कई लोगों की जाने भी गयी है। इन इसी बिन्दुओं पर विचार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला लिया है। बता दें कि ग्रीन ट्रिब्यूनल की आपत्ति के बाद राज्य में बालू घाटों की निविदा प्रक्रिया को रोक दिया गया था। बालू खनन के लिए टेंडर की प्रक्रिया 8 जिलों में चल रही थी, लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद सरकार ने फिलहाल इस पर अंतिम रोक लगा दी थी। निविदा प्रक्रिया पर रोक से जुड़ा आदेश खान एवं भूतत्व विभाग ने जारी किया था। विभाग में ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से 25 अक्टूबर को पारित किए गए आदेश के आधार पर रोक लगाई थी। बता दें कि राज्य में बालू की कमी को देखते हुए सरकार ने पिछले दिनों मंत्रिमंडल की बैठक के जरिए बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने से संबंधित प्रस्ताव पास किया था। आदेश दिया गया था कि जिनके पास से पहले से पर्यावरण स्वीकृति प्रमाण पत्र हैं । वह इन जिलों में बालू घाटों की निविदा प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। सरकार ने निविदा का काम खनन विभाग को सौंपा था। सरकार के इस फैसले के बाद पटना के अलावे भोजपुर, सारण, औरंगाबाद, रोहतास, गया, जमुई और लखीसराय में निविदा की प्रक्रिया शुरू की गई थी लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस निविदा प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थे।
ट्रिब्यूनल का कहना था कि पुराने पर्यावरण प्रमाणपत्रों के आधार पर बालू घाटों की निविदा कैसे की जा सकती है। ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद राज्य सरकार ने इस मामले में कानूनी सलाह ली और विवाद से बचने के लिए निविदा की प्रक्रिया को तत्काल स्थगित कर दिया। आपको बता दें कि 25 अक्टूबर को ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जो निर्देश दिया। उसके बाद अब विभाग में टेंडर प्रक्रिया को रोक दिया था। विभाग के प्रधान सचिव हरजोत कौर के मुताबिक के 16 जिलों में बंदोबस्ती का प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल ने 1 अक्टूबर को मंजूर किया था। 8 जिलों में 50 फ़ीसदी अतिरिक्त शुल्क के साथ बंदोबस्ती होनी थी, लेकिन कोर्ट का फैसला आने के बाद अब इस पर आगे बंदोबस्ती की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। अब सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में बालू खनन पर लगी रोक को हटाने का निर्देश दे दिया है।