दरभंगा बिहार*सी एम कॉलेज के वाणिज्य विभाग द्वारा ‘सी एम कॉलेज : मेरा अनुभव- मेरा संस्मरण’ कार्यक्रम आयोजित*

*महाविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह-2021 के सुअवसर पर पूर्व वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो आई सी वर्मा ने रखे महत्वपूर्ण विचार*

*1975-76 के दौर में महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग के शिक्षक सप्ताह में कम से कम 24 घंटियां पढ़ाते थे- डा वर्मा*

*नवगठित व पंजीकृत महाविद्यालय एलुमुनाई एसोसिएशन में लोग स्वत: जोड़कर कर रहे हैं आर्थिक सहयोग- प्रो विश्वनाथ*
सी एम कॉलेज की स्थापना मिथिलांचल के बुद्धिजीवियों विशेषकर अधिवक्ताओं का सराहनीय योगदान रहा है। गंगाधर मिश्र नेतृत्व में अधिवक्ताओं का इस दिशा में सार्थक प्रयास हुआ था।
सी एम कॉलेज में वाणिज्य की पढ़ाई काफी पहले से ही शुरू हो गई थी, पर एम कॉम की पढ़ाई बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से संबद्ध रहते हुए पहली बार सी एम कॉलेज में ही 1963 ईस्वी में प्रारंभ हुई। उस समय वाणिज्य में छात्राओं की संख्या नगण्य हुआ करती थी, पर अब वाणिज्य की ओर छात्रों के साथ ही छात्राओं की भी काफी रुचि बढ़ी है। यहां के प्रो हरिश्चन्द्र प्रसाद,प्रो गंगाकांत झा, प्रो शत्रुघ्न मिश्र, प्रो कैलाश प्रसाद अग्रवाल,प्रो अकरम साहव, प्रो राम जी बाबू , प्रो एल पी सिंह आदि ख्याति लब्ध वाणिज्य के प्राध्यापक रहे हैं। सी एम कॉलेज में वाणिज्य विभाग के वर्ग न चलने की शिकायत कभी भी छात्रों ने प्रधानाचार्य से नहीं की। मिथिला विश्वविद्यालय स्थापना के बाद वाणिज्य की पढ़ाई पी जी डिपार्टमेंट के तौर पर होने लगी,पर 1984 से पुनः सी एम कॉलेज में स्नातकोत्तर वाणिज्य की पढ़ाई प्रारंभ हुई। यहां 2008 में यूजीसी संपोषित राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हुआ था। तत्पश्चात शिक्षकों द्वारा अनेक महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। उन्होंने स्मरण किया करते हुए कहा कि 1991 में नियुक्त प्रधानाचार्य डा योगेश्वर पासवान ने कर्पूरी- ललित भवन की न केवल परिकल्पना की, बल्कि उसे मूर्त रूप प्रदान किया जो महाविद्यालय का अद्वितीय ऐसेट है। डॉ वर्मा ने वर्तमान प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा को कम समय में ही स्मरणीय एवं अनुकरणीय कार्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा ने महाविद्यालय में पहली बार स्थापना दिवस समारोह मनाए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन महाविद्यालय के लिए ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि नवगठित एवं पंजीकृत महाविद्यालय एलुमुनाई एसोसिएशन में लोग स्वतः जोड़कर आर्थिक सहयोग भी प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने प्रो आई सी वर्मा के शैक्षणिक व सामाजिक गतिविधि पर प्रसन्नता व्यक्त की।
वाणिज्य के प्राध्यापक डा बासुदेव साहू ने डा वर्मा के दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना की। अतिथियों का स्वागत करते हुए वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो डी पी गुप्ता ने कहा कि वाणिज्य विभाग के लिए गौरव की बात है कि यहां के छात्र और शिक्षक रहे प्रो आई सी वर्मा लोकप्रिय, हंसमुख एवं सरल-सहज शिक्षक के रूप में शिक्षक संघ के सचिव व कोषाध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय में पेंशन पदाधिकारी, ओएसडी प्रशासन तथा विश्वविद्यालय वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष व निदेशक तथा वाणिज्य के डीन के रूप में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में प्रो राम गोविंद श्रीवास्तव वाणिज्य के पहले अध्यक्ष हुए। यहां 1999- 2000 से बीसीए तथा 2011-12 से बीबीए की पढ़ाई वाणिज्य विभाग के अधीन हो रही है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय की शिक्षिका एवं पूर्व विश्वविद्यालय अंग्रेजी विभाग की अध्यक्षा प्रो अरुणिमा सिन्हा ने भी अपने अनुभव को सुनाते हुए सीएम कॉलेज को बहुत ही अच्छा बताया उन्होंने कहा कि यहां के छात्र छात्राएं एवं शिक्षक कर्मचारी हमेशा सम्मान करते हैं और अनुशासन में रहते हैं 2010 में पीजी विभाग स्थानांतरण के बाद भी उन्होंने यहां के शैक्षणिक जीवन को बेहतर तथा महाविद्यालय को अपनापन का भाव बताया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्कृत विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया ने प्रो आई सी वर्मा के व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए वाणिज्य विभाग के पूर्व एवं वर्तमान शिक्षकों की शैक्षणिक एवं सामाजिक गतिविधियों की चर्चा करते हुए उनकी सराहना की। वाणिज्य की प्राध्यापिका डा दिव्या शर्मा ने अपने 2 वर्ष के शैक्षणिक अनुभव के आधार पर बताया कि कॉलेज का वातावरण बिल्कुल ही पारिवारिक एवं अपनापन जैसा है। जहां मुझे अध्यापन कार्य करना काफी अच्छा लगता है। इस ऑनलाइन एवं ऑफलाइन कार्यक्रम में 80 से अधिक शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया।
प्रो ललित शर्मा के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन प्रो रितिका मौर्या ने किया