दरभंगा बिहार / एनएसएस स्वयंसेवक अमरजीत कुमार ने बैद्यनाथ साह के लिए किया डीएमसीएच में स्वैच्छिक रक्तदान*

*प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा की अध्यक्षता में एनएसएस समन्वयक डा विनोद तथा मुख्य वक्ता डा चौरसिया ने रखे विचार*

*स्वैच्छिक रक्तदान को आगे आये युवा, क्योंकि रक्तदान ही वास्तविक जीवनदान है- प्रो विश्वनाथ*

*महाकल्याण कारक स्वैच्छिक रक्तदान से होता है पूरे समाज को लाभ- डा विनोद*

*मानवरक्त का कोई विकल्प नहीं, रक्तदान है पीड़ित मानवता की सेवा का सर्वोत्तम माध्यम- डा चौरसिया*
सी एम कॉलेज, दरभंगा की एनएसएस इकाई के तत्वावधान में “रक्तदान- महादान” विषयक संगोष्ठी का आयोजन प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मिथिला विश्वविद्यालय के एनएसएस समन्वयक डा विनोद बैठा तथा मुख्य वक्ता के रूप में रेड रिबन क्लब के दरभंगा जिला के नोडल पदाधिकारी डा आर एन चौरसिया आदि ने महत्वपूर्ण विचार रखे। महाविद्यालय के वरीय स्वयंसेवक अमरजीत कुमार के संचालन में आयोजित संगोष्ठी में अतिथियों का स्वागत एनएसएस पदाधिकारी प्रो रितिका मौर्या ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन एनसीसी पदाधिकारी डा शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में डा शिशिर कुमार झा, डा भक्तिनाथ झा, डा अनिता गुप्ता, राजकुमार गणेशन, डा शंभू मंडल,नारायण जी साहू, आशीष रंजन,जूही झा व विकास कुमार सहित 60 से अधिक शिक्षकों एवं छात्र- छात्राओं ने ऑनलाइन रूप में ने भाग लिया।
अपने संबोधन में प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा ने कहा कि रक्तदान वास्तव में जीवनदान के समान है, जिससे मरणासन्न व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने रक्तदान के लिए युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि इससे रक्तग्रहण कर्ता के साथ ही रक्तदाता को भी काफी लाभ होता है।
मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के एनएसएस समन्वयक डा विनोद बैठा ने कहा कि स्वैच्छिक रक्तदान महाकल्याण कारक है,जिससे पूरे समाज को लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से रक्तदान के प्रति समाज में जागरूकता आती है।
मुख्य वक्ता के रूप में रेड रिबन क्लब,दरभंगा जिला के नोडल पदाधिकारी डा आर एन चौरसिया ने कहा कि मानव रक्त का कोई विकल्प नहीं है,क्योंकि अब तक प्रयोगशालाओं में मानव रक्त नहीं बनाए जा सके हैं। साथ ही पशु- पक्षियों के रक्त का उपयोग मानव नहीं कर सकता है। रक्तदान पीड़ित मानवता की सेवा का सर्वोत्तम माध्यम है।
एनएसएस पदाधिकारी प्रो मौर्या ने कहा कि कोई भी 18 से 65 वर्ष के बीच का स्वस्थ व्यक्ति हर तीन-चार माह के अंतराल पर रक्तदान कर सकता है। इससे हमारे शरीर में किसी प्रकार की कमजोरी नहीं होती है।उन्होंने रक्त दाताओं से अपील की वे केवल लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक में ही रक्तदान करें।
रक्तदान जागरूकता कार्यक्रम से प्रेरित होकर झंझारपुर निवासी बैजनाथ साहू के लिए डीएमसीएच में रक्तदान करने वाले सी एम कॉलेज के वरीय स्वयंसेवक अमरजीत कुमार ने कहा कि रक्तदान करने से परम आनंद की अनुभूति होती है। किसी भी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति, एनीमिया के मरीज, कैंसर तथा थैलेसीमिया आदि के मरीजों को रक्तग्रहण करने की आवश्यकता होती है। रक्तदान एक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य है जो हमारी नैतिक जिम्मेवारी भी है।