डॉ शशि कांत सुमन
पटना। नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक यानि कैग (सीएजी) ने 2018-19 वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट जारी कर दी है। इसमें बिहार को लेकर कई खुलासे सामने आए हैं। रिपोर्ट में कई अनियमितताएं सामने आई हैं, जो चौंकाने वाली हैं। रिपोर्ट में मनरेगा को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार 2014 से 2019 के बीच 26 से 36 फीसदी लोगो द्वारा रोजगार मांगा गया था। लेकिन केवल 1 से 3 प्रतिशत मनरेगा मजदूरों को ही 100 दिनों का रोजगार मिल सका है।
88.61 लाख की संख्या के साथ बिहार देश मे सबसे ज्यादा भूमिहीन श्रमिकों वाला राज्य था, जिसमें 60.88 लाख का सर्वेक्षण किया गया था। 100 दिनों तक 3 प्रतिशत परिवारों को ही रोजगार मिल सका और 2014 से 2019 के दौरान 14 प्रतिशत काम ही पूरा किया जा सका। सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार पुल निर्माण निगम के फ्लाईओवर कार्य की तकनीकी स्वीकृति के पहले ही ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया है। ठेकेदारों को स्वीकृति के पहले भुगतान करीब 66 दशमलव 25 का किया गया है।

इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड पांच साल में 25 किलोमीटर बनीं

यही नहीं, CAG की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी मिली है कि सार्वजनिक क्षेत्र के कुल 79 सरकारी कंपनियों में से 75 कंपनियों के लाया है। लगभग 1321 बकाया है। इतना ही नहीं, बिहार स्कूटर लिमिटेड का तो 69 से ही चला रहा है। इसके अलावा इंडो नेपाल बॉर्डर पर बनने वाली रोड को लेकर जो खुलासा हुआ है, वह चौंकाने वाला है। सीएजी की रिपोर्ट में महालेखाकार द्वारा कहा गया है कि इंडो-नेपाल बॉर्डर पर 5 साल में केवल 25 किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ है।