बाड़मेर राजस्थान / सालाना जल्सा-ए-दस्तारे फज़ीलत संपन्न,50 बच्चों को सनद व दस्तार से नवाज़ा गया

हुज़ूर अमीने मिल्लत ने सभी फारिग़ीन को इन्आ़म से नवाज़ने के साथ दारुल उ़लूम की तअ़मीर व तरक़्क़ी पर खुशी का इज़्हार फरमाया।

हर साल की तरह इस साल भी 12 शअ़बानुल मुअ़ज़्ज़म 1444 हि:/05 मार्च 2023 ईस्वी रविवार को क़ुतुबे थार हज़रत पीर सय्यद हाजी आ़ली शाह बुखारी का 155 वाँ,हज़रत पीर सय्यद अ़लाउद्दीन शाह बुखारी का 51 वाँ व बानी-ए-दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा हज़रत पीर सय्यद कबीर अहमद शाह बुखारी का 9वाँ “उ़र्से बुखारी व सालाना जल्सा-ए-दस्तारे फज़ीलत” ताजुल मशाइख अमीने मिल्लत शैखे तरीक़त हज़रत प्रोफेसर सय्यद मुहम्मद अमीन मियाँ क़ादरी बरकाती सज्जादा नशीन:खानक़ाहे आ़लिया क़ादरिया बरकातिया मारहरा शरीफ की सरपरस्ती व पीरे तरीक़त नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की क़यादत में शरई मरासिम की पाबंदी करते हुए निहायत ही हर्ष व उल्लास और अ़क़ीदत व मुहब्बत और शान व शौकत के साथ मनाया गया।
सब से पहले बाद नमाज़े फज्र: इज्तिमाई क़ुरआन ख्वानी व खुसूसी दुआ़ हुई।
बाद नमाज़े ज़ुहर:उ़र्से बुखारी व जल्सा-ए-दस्तारे फज़ीलत की पहली मज्लिस की शुरूआ़त क़ारी अ़ब्दुर्रज़्ज़ाक़ अनवारी के ज़रिआ़ तिलावते कलामे रब्बानी से हुई,उस के बाद दारुल उ़लूम व शाखहा-ए-दारुल उ़लूम के होनहार तल्बा[ विद्यार्थियों] ने “दीनी व मज़हबी और इस्लाहे मुआ़शरा व मअ़मूलाते अहले सुन्नत के जवाज़ व इस्तिहसान पर मुश्तमिल[आधारित]तक़रीरैं और बारगाहे रसूले मक़्बूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम में नअ़त व बुज़ुर्गाने दीन की शान में मन्क़बती अश्आ़र पेश करते रहे।

बाद नमाज़े अ़स्र:दारुल उ़लूम के सदर गेट से जुलूसे चादर खानक़ाहे आ़लिया बुखारिया के सज्जादा नशीन नूरुल उ़़ल्मा पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी और उन के बिराद्रान हज़रत पीर सय्यद इबराहीम शाह बुखारी, सय्यद दावन शाह बुखारी व सय्यद ग़ुलाम शाह बुखारी व दीगर सादाते किराम व उ़़ल्मा-ए-ज़विल एहतिराम की क़यादत में सिंधी मौलूद शरीफ पढ़़ते हुए रवाना हो कर दरगाह शरीफ पहुंचा…दरगाह शरीफ में साहिबे सज्जादा आस्ताना आ़लिया बुखारिया व दीगर उ़़ल्मा व मशाइख के हाथों चादर पोशी व गुल पाशी की रस्म अदा करने के बाद इज्तिमाई फातिहा ख्वानी की गई,सलातो सलाम पढ़ा गया और हुज़ूर साहिबे सज्जादा ने दरगाह शरीफ मे आराम फरमा सभी बुज़ुर्गाने दीन की रूहों को ईसाले षवाब करने के साथ उ़़र्स मे तशरीफ लाए सभी ज़ाइरीन व मुसलमानाने आ़लम की सलाह व फलाह और वतने अ़ज़ीज़ मे अमन व सलामती के लिए खुसूसी दुआ़ की।
बाद नमाज़े मग़्रिब:दूसरी मज्लिस की शुरूआ़त क़ारी मुहम्मद अनवर बरकाती के ज़रिआ़ तिलावते कलामुल्लाह से हुई,इस मज्लिस में भी दारुल उ़लूम व शाखहा-ए-दारुल उ़लूम के तल्बा ने अपना दीनी व मज़हबी और षक़ाफती प्रोग्राम [नअ्त व मव्क़बत,तक़रीर व मुकालमा और ग़ज़ल(सिंधी नअ़्त शरीफ) पर मुश्तमिल उर्दू,अ़रबी,फारसी,सिंधी, ढाटी व इंगलिश ज़बान मे पेश किया…फिर हज़रत मौलाना मुहम्मद इक़बाल साहब अशफाक़ी सदर मुदर्रिस:दारुल उ़लूम मुहम्मदिया रिज़्विया फलोदी ने उ़़म्दा खिताब किया।
बाद नमाज़े इशा:बाक़ाइदा उ़ल्मा-ए-किराम का प्रोग्राम क़ारी मुहम्मद इस्माईल अनवारी खतीब व इमाम बड़ी मस्जिद नाडी मुहल्ला पाली के ज़रिआ़ तिलावते कलामुल्लाह से शुरूअ़ हुवा,उस के बाद हज़रत मौलाना हाफिज़ व क़ारी अल्लाह बख्श साहब अशरफी,हज़रत मौलाना हाफिज़ मुहम्मद सईद साहब अशरफी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़लूम फैज़ाने अशरफ बासनी,खतीबे मारवाड़ हज़रत मौलाना अबूबकर साहब,मौलाना मुहम्मद इरफान कुम्हारी,व मौलाना मुहम्मद पठान सिकन्दरी ने मुख्तलिफ उ़़न्वानात पर मुख्तसर खिताबात और दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ और इस के बानी,ज़िम्मेदारान व असातज़ा की खिदमात व कारकर्दगी पर ग्राँ क़द्र तअष्षुरात पेश किए।
बादहु जानशीने मुफ्ती-ए-आज़म राजस्थान हज़रत अ़ल्लामा मुफ्ती शेर मुहम्मद खान साहब रिज़्वी शैखुल हदीष:दारुल उ़लूम

 

इस्हाक़िया जोधपुर खतमे बुखारी शरीफ की मुक़द्दस रसम को अदा कराने के लिए स्टेज पर तशरीफ लाए,और आप ने पहले हज़रत इमाम बुखारी व सहीह बुखारी शरीफ की अ़ज़मत व फज़ीलत,हदीष की किताबों खास तौर पर बुखारी शरीफ की जमअ़ व तरतीब वग़ैरह के बारे में इंतिहाई आ़लिमाना व फाज़िलाना खिताब फरमाया,फिर दरजा-ए-फज़ीलत के सभी तल्बा को “बुखारी शरीफ” की आखिरी हदीष का दर्स दे कर “खतमे बुखारी शरीफ” की मुबारक रसम को अदा किया।
खुसूसी नअ़्त व मन्क़बत ख्वानी का शर्फ मद्दाहाने रसूल क़ारी मुहम्मद शरीफ बासनी,क़ारी मुहम्मद जावेद सिकन्दरी अनवारी,क़ारी अ़ताउर्रहमान क़ादरी अनवारी जोधपुर,हाफिज़ व क़ारी अ़ब्दुल मजीद अनवारी मेड़ता सिटी और क़ारी मुहम्मद अ़ली ग़ौषवी ने मुख्तलिफ मज्लिसों में हासिल किया।
फिर खुसूसी खिताब शहज़ादा-ए- फक़ीहे मिल्लत हज़रत अ़ल्लामा मुफ्ती अबरार अहमद अम्जदी सदर:मरकज़ तरबियते इफ्ता ओझागंज,बस्ती यूपी ने “इल्म व उ़़ल्मा की अहमियत व फज़ील और मदारिसे इस्लामिया की ज़रूरत और उन के तआ़वुन के अज्र” के उ़़न्वान पर कि़या।
आप के खिताब के बाद हस्बे रिवायत खानक़ाहे आ़लिया बुखारिया,मुहिब्बाने जहानियाँ कमेटी व दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ के ज़िम्मेदारान की तरफ से मिस्बाहुल फुक़्हा हज़रत मुफ्ती मुहम्मद आ़लमगीर साहब रिज़्वी उस्ताद व मुफ्ती:दारुल उ़लूम इस्हाक़िया जोधपुर को “सिपास नामा” व मख्दूमे जहानियाँ एवार्ड,उस्ताज़ुल उ़़ल्मा हज़रत मौलाना ताज मुहम्मद साहब सुहर्वर्दी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़लूम फैज़े ग़ौषिया खारची को “सय्यिदुना शाह बरकतुल्लाह एवार्ड” जब कि शहज़ादा-ए-मुफ्ती-ए-थार हज़रत मौलाना अ़ब्दुल मुस्तफा साहब नईमी नाज़िमे आला:दारुल उ़लूम अनवारे ग़ौषिया सेड़वा को उन की दीनी व मज़हबी खिदमात के एतिराफ में पेश किया गया।
फिर इस साल दारुल उ़लूम से फारिग़ होने वाले 42 तल्बा को आ़लिम व फाज़िल,2 को हिफ्ज़े क़ुरआन और 6 को सनद व दस्तारे क़रात से नवाज़ा गया,और साथ ही साथ इस साल अपने इदारा के परवर्दा हाफिज़ व क़ारी मोलवी मुहम्मद हाशिम रज़ा बरकाती की जामिआ़ अहसनुल बरकात मारहरा शरीफ से सनद व दस्तारे फज़ीलत के हुसूल पर एज़ाज़ी दस्तार बंदी की गई…दस्तार बंदी के बाद शैखे तरीक़त ताजुल मशाइख, हुज़ूर अमीने मिल्लत मद्द ज़िल्लहुल आ़ली ने सदारती व खुसूसी नासिहाना खिताब से नवाज़ा-
आप ने अपने खिताब के दौरान दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा की उ़़म्दा व इत्मिनान बख्श कार कर्दगी पर खुशी का इज़्हार फरमाया,और इस साल फारिग़ होने वाले बच्चों व अवामे अहले सुन्नत को बहुत ही उ़़म्दा व लाइक़े अ़मल नसीहत फरमाने के साथ सभी 50 फारिग़ीन को अपनी तरफ से 500/500 बतौरे इन्आ़म अ़ता फरमाया,साथ ही साथ दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा के साथ अल्ताफे खुसरवाना फरमाते हुए दारुल उ़लूम का तआ़वुन फरमा कर दारुल उ़लूम के ज़िम्मेदारान बिल खुसूस नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की हौसला अफ्ज़ाई की-
आखिर में दारुल उ़लूम के मुहतमिम व शैखुल हदीष हज़रत क़िब्ला सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी ने उ़र्स में तशरीफ लाए सभी मेहमानों व ज़ाइरीन का शुक्रिया अदा किया।
निज़ामत के फराइज़ मौलाना मुहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी व मौलाना रियाज़ुद्दीन सिकन्दरी अनवारी ने मुश्तरका तौर पर बहुस्न व खूबी निभाया।
इस प्रोग्राम में खुसूसियत के साथ यह हज़रात शरीक रहे
हज़रत मौलाना मुहम्मद अकबर साहब क़ादरी बरकाती अलीगढ़, मुफ्ती शब्बीर अहमद मिस्बाही शैखुल हदीष: फैज़ाने अशफाक़ नागौर, मुफ्ती रजब अ़ली क़ादरी अशफाक़ी जोधपुर, क़ारी मुहम्मद आफताब साहब गोटन, हाफिज राशिद बरकाती मारहरा शरीफ, सय्यद मिठन शाह मटारी, सय्यद सोहबत अ़ली शाह मटारी, सय्यद मीर मुहम्मद शाह क़ादरी, सय्यद मोहम्मद शाह वाँतरा व दीगर सादाते किराम कच्छ गुजरात, मौलाना अल्हाज सखी मुहम्मद क़ादरी चीफ खलीफा: जीलानी जमाअ़त हिंद, मौलाना मुहम्मद क़ासिम दिलकश अशरफी, मौलाना अ़ली हसन क़ादरी, मौलाना कमालुद्दीन सूड़ियार, मौलाना मेहरुद्दीन क़ादरी वगैरहुम
सलातो सलाम और क़िबला अमीने मिल्लत मद्द ज़िल्लहु आ़ली की दुआ़ पर यह प्रोग्राम इख्तिताम पज़ीर हुआ।

रिपोर्ट: मुहम्मद शमीम अहमद नूरी मिस्बाही
खादिम: दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा मुत्तसिल दरगाह हज़रत पीर सय्यद हाजी अ़ाली शाह बुखारी पच्छमाई नगर,सेहलाऊ शरीफ, बाड़मेर [राजस्थान]