🔴वाराणसी आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, कल्लीपुर, वाराणसी द्वारा “ सब्जियों की संरक्षित खेती से किसानों की आय दोगुनी” विषय पर आयोजित पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम जो आज दिनांक 08/07/2022 को समापन हुआ। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र रघुवंशी ने उपस्थित समस्त किसानो का स्वागत करते हुए केंद्र से जुड़कर सब्जियों की संरक्षित खेती जो कि एक नई कृषि तकनीकी है जिसको किसान अपने खेती में समावेश करने की सलाह दी। उद्यान विभाग के वैज्ञानिक एवं विषय समन्वयक डॉक्टर मनीष पांडे बताया की संरक्षित खेती किसानों के लिए लाभ का सौदा है। सब्जियां जैसे कि टमाटर, शिमला मिर्च, ब्रोकली, फूल गोभी, पत्ता गोभी, खीरा, मिर्च, अदरक, गाजर, लौकी, करेला, मटर, धनिया, भिंडी, तोरई आदि का संरक्षित खेती किया जाता है।

*संरक्षित खेती के लिए प्रमुख संरचनाएं*
*पॉलीहाउस*
संरक्षित खेती के लिए आजकल दो तरह के पॉलीहाउस का निर्माण कराया जाता है. एक हाइटेक पॉलीहाउस और दूसरा प्राकृतिक हवादार पॉलीहाउस. हाइटेक पॉलीहाउस काफी महंगा होता है, इसमें तापमान नियंत्रण, सिंचाई समेत विभिन्न कार्यों को कम्प्यूटर की मदद से संचालित किए जाते हैं. इसमें उत्पादन ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण होता है। वहीं प्राकृतिक हवादार पॉलीहाउस में सिंचाई, खाद-उर्वरक देना आदि कामों को मैन्युअल किया जाता है। इसमें पॉलिथीन शीट का प्रयोग किया जाता है, जिसकी मदद से कार्बनडाईऑक्साइड को संरक्षण किया जाता है। जो पौधों के विकास में लाभदायक होता है। इसमें हाइटेक पॉलीहाउस की तुलना में कम उत्पादन होता है।
*शेडनेट हाउस*
शेडनेट हाउस यानी छायादार जालीगृह होता है. जहां पॉलीहाउस में प्लॉस्टिक लगा होता है, वहीं शेडनेट हाउस हरे रंग के मटेरियल से निर्मित किया जाता है. जो अंदर उगाई जाने वाले फसलों की बाहरी प्रतिकुल मौसम से संरक्षित करने में मदद करता है. शेडनेट हाउस लोहे, बांस या लकड़ी की मदद से बना सकते हैं. इसे हवादार नेट से ढंक दिया जाता है. यह ग्रीनहाउस के सिद्धांत पर काम करता है. दरअसल, इसमें तापमान अनुकूल रहता है जिससे गर्मी के मौसम में भी सब्जियां, फल, फूल उगाएं जा सकते हैं. गर्मी के दिनों में हवा का तापमान बढ़ जाता है और प्रकाश की तीव्रता भी बढ़ जाती है. इससे मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है. इससे टमाटर, शिमला मिर्च समेत विभिन्न सब्जियां सुखने लगती है।
*प्लास्टिक मल्चिंग*
टमाटर, गोभीवर्गीय और कद्दू वर्गीय सब्जियों के लिए प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग बेहद फायदेमंद होता है. प्लास्टिक मल्चिंग के उपयोग से खरपतवार नियंत्रण, मिट्टी कटाव और पौधों को लंबे समय सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. इस तकनीक का प्रयोग करके 30 से 40 फीसदी उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है. वहीं 30 से 40 फीसदी खाद एवं सिंचाई के जल की बचत होती है। उद्यान वैज्ञानिक एवं विषय समन्वयक डॉक्टर मनीष पांडे ने किसानो को सम्बोधित करते हुए सब्जियों की संरक्षित खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया तथा किस समय कौन सी सब्जी का उत्पादन किया जाए जोकि लाभदायक रहेगा यह भी बताया। इस कार्यक्रम में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर नवीन कुमार सिंह, वैज्ञानिक डॉक्टर अमितेश, डॉ राहुल सिंह,डॉक्टर प्रतीक्षा सिंह एवं श्री श्रीप्रकाश सिंह ने अपने विचार साझा किए। आज इस अवसर पर केंद्र के कर्मचारी प्रक्षेत्र प्रबंधक श्री राणा पियूष सिंह, नागेंद्र कुमार, सहित लगभग 2 दर्जन से अधिक महिला एवं पुरुष किसानों ने भाग लिया।