🔴 दरभंगा
*संस्कृत विभाग, सी एम कॉलेज तथा डा प्रभात फाउंडेशन के द्वारा ‘विश्व परिवार दिवस’ पर संगोष्ठी आयोजित*

*काम आय में भी महिलाएं बेहतरीन परिवार- प्रबंधन करने में सक्षम- डा शंभू शरण*

*”परिवार- प्रबंधन में महिलाओं की भूमिका” विषयक कार्यक्रम में 60 से अधिक व्यक्ति हुए शामिल*

*परिवार व्यक्तित्व विकास एवं चरित्र निर्माण का मूल केन्द्र जो महिला के बिना अधूरा- प्रो विश्वनाथ*

*संगोष्ठी में प्रो विश्वनाथ, डा शंभू शरण, डा कीर्ति, डा नीलम, डा सुनीता, डा चौरसिया व डा शिशिर आदि ने रखे महत्वपूर्ण विचार*

*महिला मानव- सृजनकर्त्री, परिवार की सर्वश्रेष्ठ प्रबंधिका एवं बच्चों की प्रथम शिक्षिका- डा नीलम*

*परिवार बच्चों की प्रथम पाठशाला, जिसकी सुव्यवस्था मुख्यतः महिलाओं पर निर्भर- डा सुनीता*

*विपरीत परिस्थिति में भी बेहतर निर्णय लेकर महिला बनाती हैं परिवार में संतुलन- डा कीर्ति*

*परिवार रूपी प्रयोगशाला में ही तैयार होते हैं राष्ट्र के भविष्य- डा चौरसिया*
सी एम कॉलेज, दरभंगा के संस्कृत विभाग एवं डा प्रभात दास फाउंडेशन, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में ‘विश्व परिवार दिवस’ के सुअवसर पर “परिवार- प्रबंधन में महिलाओं की भूमिका” विषयक ऑनलाइन/ ऑफलाइन संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय में किया गया, जिसमें सी एम कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य एवं समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो विश्वनाथ झा, इग्नू क्षेत्रीय केन्द्र, दरभंगा के वरीय क्षेत्रीय निदेशक डा शंभू शरण सिंह, मिल्लत कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग की प्राध्यापिका डा कीर्ति चौरसिया, मारवाड़ी महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभागाध्यक्षा डा सुनीता कुमारी, एमआरएम कॉलेज की हिंदी- प्राध्यापिका डा नीलम सेन, एमएमटीएम कॉलेज के इतिहास विभाग के प्राध्यापक डा शिशिर कुमार झा आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। वहीं डा सुधांशु कुमार, डा विकास सिंह, डा इंदु भूषण सुमन, डा अनुज कुमार, तरुण झा, डा भक्तिनाथ झा, राजकुमार गणेशन, अनिल कुमार सिंह, सुधांशु शेखर, काजल, आशीष रंजन, ज्योति, नीरज, नीतीश, संजय, सुशीला, आकाश, अभिषेक, निर्मल, शगुफ्ता यामिनी, त्रिलोकनाथ चौधरी, कृष्ण मोहन तथा आरती पटेल सहित 60 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।
अपने संबोधन में मुख्य अतिथि डा शंभू शरण सिंह ने कहा कि परिवार में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, पर अतिशय धनलोलुपता के कारण आज परिवार बिखर रहा है। महिलाएं ही घर को वास्तविक घर बनाती हैं। बदलते समय में हमें अधिकारों के साथ ही अपने कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक पालन करना होगा, तभी परिवार सुख – शांति का केन्द्र बना रहेगा। उन्होंने कहा कि काम आय में भी महिलाएं बेहतरीन परिवार प्रबंधन करने में सक्षम हैं।
मुख्य वक्ता के रूप में डा कीर्ति चौरसिया ने कहा कि परिवार मानव जीवन की पहली इकाई है, जिसके बिना मानव जीवन असंभव है। परिवार में बच्चे नैतिक मूल्य, सामाजिकता, संस्कार और संस्कृति आसानी से सीख पाते हैं। महिलाएं बाहर से कोमल एवं अंदर से अत्यंत ही मजबूत होती हैं। विपरीत परिस्थिति में भी बेहतर निर्णय लेकर महिलाएं परिवार में संतुलन बनाती हैं। वे सदस्यों के बीच अपनी कुशलता तथा अपनापन के प्रबंधकीय गुणों द्वारा परिवार को बचाती हैं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डा नीलम सेन ने कहा कि परिवार प्रबंधन एवं विकास में महिलाओं की अद्वितीय भूमिका होती है। पुरुष प्रधान समाज होने के कारण नारी के योगदान को कमतर महत्व दिया गया है। महिलायें बेहतर मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक चिकित्सक होती हैं। उनमें प्रबंधन क्षमता जन्मजात होती है। महिला मानव सृजनकर्त्री, परिवार की सर्वश्रेष्ठ प्रबंधिका एवं बच्चों की प्रथम शिक्षिका होती हैं।
विषय प्रवेश कराते हुए डा सुनीता कुमारी ने कहा कि परिवार में ही बच्चों को मानवीय गुणों एवं सामाजिक नियमों की विशेष जानकारी महिलाएं ही बच्चों को देती हैं। महिलाएं परिवारिक सदस्यों के बीच भावात्मक मजबूती प्रदान करती हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1993 से विश्व परिवार दिवस मनाने की शुरुआत की, ताकि इसके महत्व को जाना जा सके। परिवार बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है, जिसकी सुव्यवस्था महिलाओं पर ही निर्भर करती है।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रो विश्वनाथ झा ने कहा कि परिवार व्यक्तित्व विकास एवं चरित्र निर्माण का मूल केंद्र है जो महिलाओं के बिना अधूरा है। परिवार में पति- पत्नी दोनों की भूमिका अहम होती है, परंतु नारी परिवार में गंगा- जमुना की शीतल धारा की तरह मिठास घोलती है तथा पुरुष दिशा- दशा प्रदान करता है। हमारे समाज में प्राचीन काल से ही परिवार जीवंत रहा है, जिसका मूल आधार अध्यात्मिकता है।
संगोष्ठी के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने अतिथियों का स्वागत एवं संचालन करते हुए कहा कि भारत में आदि काल से ही नारियों की प्रतिष्ठा रही है, जिनके बिना कोई भी धार्मिक कार्य संभव नहीं है। परिवार रूपी प्रयोगशाला में ही राष्ट्र के भविष्य तैयार किए जाते हैं। शिक्षित, संस्कारित एवं सकारात्मक महिलाओं से ही परिवार का बेहतरीन प्रबंधन संभव है। धन्यवाद ज्ञापन डा शिशिर कुमार झा ने किया।