सी एम कॉलेज, दरभंगा के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित दस दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर सफलतापूर्वक संपन्न*

*निवर्तमान प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित समापन समारोह का नवनियुक्त प्रधानाचार्य डा फूलो पासवान ने किया उद्घाटन*

*शिविर में शामिल 125 से अधिक प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र तथा मेडल प्रदान कर किया गया हौसलाअफजाई*

*राष्ट्र के भविष्य छात्र अपने गुरु के ज्ञान तथा अनुभव का लाभ उठाएं – डा फूलो*

*कथा एवं श्लोक के माध्यम से उपलब्ध संस्कृत ज्ञान सर्वाधिक प्राचीन एवं प्रासंगिक- डा शंभू शरण*

*संपूर्ण मानवता की सुरक्षा, विकास एवं कल्याण हेतु संस्कृत भाषा कामधेनु सदृश्य- डा देवनारायण*

आज अवकाश ग्रहण करने वाले प्रो विश्वनाथ झा एवं प्रो शिप्रा सिन्हा का शिविर में दी गयी भावभीनी विदाई*
सी एम कॉलेज, दरभंगा के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में गत 20 नवंबर से संचालित 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर का समापन समारोह निवर्तमान प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसका दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करते हुए नवनियुक्त प्रधानाचार्य डा फूलो पासवान ने किया। इस अवसर पर डा फूलो ने कहा कि छात्र राष्ट्र के भविष्य और शिक्षक भविष्य-निर्माता हैं। यदि छात्र अनुशासित होकर अध्ययन कार्य करें तो वे जीवन में काफी आगे बढ़ सकते हैं। छात्र अपने गुरु के ज्ञान तथा उनके अनुभवों का एक से अधिक लाभ उठाकर अपने जीवन को सफल बनाएं। उन्होंने बिहार के विभिन्न जिलों में शिक्षक व प्रधानाचार्य के रूप में अपने अनुभवों को विस्तार से बताते हुए कहा कि यह एक सुदृढ़ गौरवशाली महाविद्यालय है, जिसके सम्मान को अक्षुण्ण रखने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
मुख्य अतिथि के रूप में इग्नू दरभंगा के वरीय क्षेत्रीय निदेशक डा शंभू शरण सिंह ने कहा कि संस्कृत साहित्य में कथाओं एवं श्लोकों के माध्यम से उपलब्ध संस्कृत ज्ञान सर्वाधिक प्राचीन एवं अति प्रासंगिक है। संस्कृत में हर प्रकार के ज्ञान- विज्ञान उपलब्ध हैं। जरूरत है कि इसे वर्तमान नवीन दृष्टि से देखते हुए उसका लाभ उठाया जाए। अभ्यास के बिना ज्ञान भार हो जाता है। उन्होंने कहा कि मेरे व्यक्तित्व एवं संस्कार निर्माण में सी एम कॉलेज का बहुत बड़ा योगदान है।
सम्मानित अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के पूर्व डीन डा अशोक कुमार झा ने कहा कि यदि संस्कृत बचेगा, तभी हमारी संस्कृति भी बचेगी। उन्होंने सी एम कॉलेज में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली द्वारा अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण उपकेन्द्र खुले जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मिथिला शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डा देव नारायण यादव ने कहा कि संपूर्ण मानवता की सुरक्षा विकास एवं कल्याण हेतु संस्कृत भाषा कामधेनु सदृश है। मिथिला ज्ञान की राजधानी मानी जाती है। जहां सभी दर्शनों का सर्वाधिक विकास हुआ है। मिथिला शोध संस्थान में आज सारे 12,500 पांडुलिपियाँ सुरक्षित हैं जो 1000 वर्ष पुरानी हैं। मूल संस्कृत साहित्य में कहीं भी भेदभाव नहीं है। यह सबके लिए समान रूप से लाभकारी है।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रो विश्वनाथ झा ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैं इस महाविद्यालय का छात्र, शिक्षक एवं प्रधानाचार्य भी रहा। जहां तरुणाई जागृत अवस्था में मौजूद है। उन्होंने संस्कृत संभाषण में शामिल सभी प्रतिभागियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर आज ही अवकाश ग्रहण करने वाली अर्थशास्त्र की प्राध्यापिका प्रो शिप्रा सिन्हा ने कहा कि महाविद्यालय हमारा परिवार जैसा है, क्योंकि 1982 से आज तक मैं यहां अर्थशास्त्र विभाग में कार्यरत रही हूं।
छात्र नायक शिवम कुमार झा के नेतृत्व में हिमांशु कुमार झा, सुमित श्री झा, सुमन सिंह, अमन कुमार झा, गौरव राय, आचार्य भास्कर, वारिधी विशाल, शिवम पोद्दार तथा परमवीर सिंह ने संयुक्त रूप से मनमोहक लोकगीत की प्रस्तुति किया, जिसे सभी व्यक्ति आनंदित होते हुए मुक्त कंठ से भूरि-भूरि प्रशंसा की।
शिविर में प्रो इंदिरा झा, प्रो मंजू राय, डा प्रीति कानोडिया, डॉ प्रेम कुमारी, डा तनिमा कुमारी, डा मीनू कुमारी, डा शैलेन्द्र श्रीवास्तव, प्रो अखिलेश राठौर,डा रीना कुमारी,डा सुधा कुमारी, डा संजीत कुमार झा, निधि सिंह, मोमित लाल, प्रो एहतेशामुद्दीन, प्रो राजानंद झा, डा भारती कुमारी सहित 120 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ, फूलमाला, पाग-चादर एवं स्मृति चिह्न आदि से किया गया।
शिविर संयोजक डा चौरसिया के संचालन में आयोजित समारोह में गोस्वामी गीत आस्था निगम के नेतृत्व में छात्राओं ने प्रस्तुत की, जबकि संस्कृत में स्वागतगान काजल कुमारी, वैदिक मंगलाचरण प्रकाश चंद्र मिश्र तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रशिक्षिका अंशु कुमारी ने किया। डा चौरसिया ने बताया कि शिविर में अध्यापक कन्हैया जी तथा प्राध्यापिका डा प्रेम कुमारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र तथा मेडल अतिथियों के हाथों प्रदान किया गया।