दरभंगा / सीएम कॉलेज, दरभंगा में संचालित संस्कृत संभाषण के चौथे दिन के शिविर का कन्हैया जी ने किया शुभारंभ*

*संस्कृत लोक प्रशासनिक सेवा की परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्रदान करने वाला- कन्हैया जी*

*संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन से ही भारत बनेगा पुनः विश्वगुरु- ओम प्रकाश*

*अगले वर्ष सी एम कॉलेज में आयोजित किए जाएंगे पाक्षिक आवासीय संस्कृत संभाषण शिविर- डा चौरसिया*

*संस्कृत सर्वाधिक शुद्धतम भाषा जो देती है भाईचारे की सीख- अखिलेश राठौर*सी एम कॉलेज, दरभंगा के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में चल रहे 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण के चौथे दिन के शिविर का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में अध्यापक कन्हैया जी ने कहा कि मिथिला विद्वानों की भूमि रही है। जहां लगातार संस्कृत संभाषण शिविरों का आयोजन सुखद अनुभूति है। संस्कृत सभी लोक प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्रदान करने वाला विषय है, जिसमें कम मेहनत में अधिकतम अंक प्राप्त कर सफलता पायी जा सकती है। अमेरिका सहित कई पश्चिमी विकसित देशों में कंप्यूटर एवं आधुनिक विज्ञान हेतु संस्कृत की उपयोगिता पर शोध- कार्य चल रहे हैं। आज भी दक्षिण भारत के तमिलनाडु व केरल आदि के कई राज्यों के गांवों के निवासियों की मातृभाषा पूर्णतः संस्कृत ही है।
मुख्य वक्ता के रूप में समाजसेवी ओम प्रकाश ने कहा कि पहले संस्कृत संभाषण सीखने हेतु दिल्ली या बनारस जाना पड़ता था, पर अब सी एम कॉलेज में सहजता से उपलब्ध हो रहा है। संस्कृत वाक्यों में शब्दों को आगे- पीछे करने पर भी न तो अशुद्धि होत है और न ही अर्थ बदलता है। संस्कृत अध्ययन करने वाले लोग मन, वचन एवं कर्म में समानता रखते हैं। संस्कृत लोगों को संस्कृति एवं संस्कार के शिक्षा प्रदान करती है।
विशिष्ट वक्ता के रूप में महाविद्यालय की हिंदी के विभागाध्यक्ष प्रो अखिलेश कुमार राठौर ने कहा कि संस्कृत सर्वाधिक शुद्धतम भाषा है जो भाईचारे की सीख देती है। इसमें बताई गई नीति एवं मूल्य की बातें हमें आदर्श मानव बनने में मददगार हैं।
शिविर की अध्यक्षता करते हुए संयोजक डा आर एन चौरसिया ने बताया कि शिविर में स्कूल के बच्चों सहित शोधार्थी,अध्यापक, प्राध्यापक एवं सामान्य अभिभावक भी उत्साह पूर्वक भाग ले रहे हैं। संस्कृत भाषा के प्रचार- प्रसार के उद्देश्य से केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण विभाग द्वारा सी एम कॉलेज में स्थापित उपकेंद्र के द्वारा सर्टिफिकेट कोर्स में भी नामांकन चल रहा है। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष जून माह में 15 दिवसीय आवासीय संस्कृत संभाषण शिविर का आयोजन महाविद्यालय में किया जाएगा।
कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में डा शिशिर कुमार झा ने कहा कि पुरा काल में संस्कृत जन-जन की भाषा रही थी। इसे समाज में पुनः स्थापित करने के लिए इस तरह के शिविरों का आयोजन काफी प्रसांगिक है। डा शैलेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि महाविद्यालय में सरलता से संस्कृत संभाषण ‘लर्निंग बाय डूइंग विधि’ से आसानी से सीखाया जा रहा है, जिसका अधिक से अधिक लोग लाभ उठा सकते हैं।
शिविर में अजीत, मुकेश, आकाश, अमरजीत, सुप्रिया, सीमा, कंचन, संध्या, गुंजन, आस्था, जया, संगीता, कनीज, फातमा, शालिनी, नेमत परवीन, जीनत, निशा, रिया, कंचन, संध्या व गुंजन सहित 70 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। अतिथियों का स्वागत अजीत कुमार झा ने किया, जबकि संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रशिक्षिकाअंशु कुमारी ने किया।