🔴संत कबीर नगर / पौली ब्लॉक क्षेत्र
में बांट माप तौल विभाग के उदासीन रवैया के कारण उपभोक्ता दुकानों से सामान खरीदने में ठगी का शिकार होना पड़ रहा है। वही विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय है। न तो कभी विभागीय अधिकारी औचक निरीक्षण करते है और ना ही दुकानदार कभी अपने बाट की जांच करवाते हैं।ग्रामीण इलाके के सब्जी मंडियों और बाजार में बटखरे के रूप में मानक बाट बटखरे की जगह ईट पत्थर के बाट प्रयोग हो रहा है। यह टूटकर या गिरकर मूल वजन से कम हो जाते हैं। बावजूद दुकानदार इनका इस्तेमाल करते रहते हैं, जबकि इसके बारे में सरकार का निर्देश है कि माप तौल यंत्र का सत्यापन समय-समय पर होता रहे और संबंधित दुकानदार को इसकी रसीद भी दी जाए विभाग के द्वारा  सिर्फ कागजों में जांच होती है पेट्रोल पम्प पर एक लीटर से बीस लीटर तक नापने का चोंगा होना चाहिए लेकिन किसी पेट्रोल पम्प पर नही रहता है सिर्फ कागजों में रहता है और धर्म काटा के पास भी एक किलो से एक कुन्टल तक बांट होना चाहिए लेकिन किसी भी धर्म काटा पर नहीं रहता है सिर्फ कागजों में रंगीन कागज के टुकड़ों में जांच पूरी होती है सरकार के राजस्व को विभाग चुना लगा रहे हैं ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश विक्रेताओं को नियम की जानकारी नहीं है।
बाट-माप विभाग में भ्रष्टाचार की मोहर से दुकानदार आजिज हैं। आरोप है कि अफसर अपने विभाग के अधिकृत एजेंटों के जरिये अवैध उगाही कराते हैं। बिना नवीनीकरण के माप व तौल का काम भी खूब ही चल रहा है। ग्राहक घटतौली के शिकार हो रहे हैं।बाट-माप विज्ञान विभाग के नियमानुसार हर दो साल बाद बाट, तराजू व इलेक्ट्रॉनिक वेट मशीन (कांटा) की जांच होती है। बाट पर मोहर लगती है तो इलेक्ट्रॉनिक कांटे पर जांच के बाद टैग (सील) लगती है। बाजार में बड़ी संख्या में बिना मोहर के बांट व बिना नवीनीकरण टैग के कांटे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। मोहर व टैग लगाने के लिए विभाग ने जिले में दो दर्जन एजेंट अधिकृत किए हैं, जो रिपेयरिग, इलेक्ट्रॉनिक कांटों का निर्माण व बिक्री करते हैं। जिस एजेंट के पास मरम्मतीकरण का लाइसेंस है, वे सिर्फ इसी काम के लिए अधिकृत है। दुकानदारों ने बताया 30 किलो के इलेक्ट्रॉनिक कांटे के टैग नवीनीकरण का शुल्क 250 रुपये है। वसूला 400 से 500 रुपये तक जाता है। बहाना विभाग के अफसरों को रिश्वत देने की बात कहते हैं बाट माप विभाग कि इस कार्य शैली से जहां उपभोक्ता ठगा जा रहा है वही सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है।