✍️वाराणसी अश्विनी कुमार चौहान

🔴*रोहनिया/- ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ ये काफी मशहूर कहावत है।इसका अर्थ है कि अगर व्यक्ति का मन शुद्ध है,किसी काम को करने की उसकी नीयत अच्छी है तो उसका हर कार्य गंगा के समान पवित्र है।इस कहावत को लोग अक्सर अपनी बातचीत के दौरान बोलते है।ये कहावत संत ​रविदास की है।संत रविदास कबीरदास के समकालीन और गुरुभाई कहे जाते हैं।वे बेहद परोपकारी थे और किसी को ऊंचा या नीचा नहीं मानते थे।मान्यता है कि संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था।आज 16 फरवरी को माघ पूर्णिमा मनाई गयी।ऐसे मे बुधवार का दिन संत रविदास की जयंती के ​रूप में भी सेलिब्रेट किया जाता है। संत शिरोमणि रविदास जयंती के अवसर पर कम्पोजिट विद्यालय मोहनसराय में शिक्षकों द्वारा रविदास जयंती धूमधाम से मनाई गयी।जयंती के दौरान इंचार्ज प्रधानाध्यापिका श्रीमती स्नेह प्रभा तिवारी ने बताया कि संत रविदास का जन्म चर्मकार कुल में हुआ था,इसलिए वे जूते बनाने का काम करते थे।वे किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझते थे।इस लिए हर काम को पूरे मन और लगन से करते थे।उनका मानना था कि किसी भी काम को पूरे शुद्ध मन और निष्ठा के साथ ही करना चाहिए।ऐसे में उसका परिणाम भी हमेशा अच्छा ही होगा।वही सुश्री ज्योत्सना सिंह ने बताया कि रविदास जी जाति की बजाय मानवता में यकीन रखते थे और सभी को एक समान मानते थे।उनका मानना था कि परमात्मा ने ​इंसान की रचना की है,सभी इंसान समान हैं और उनके अधिकार भी समान हैं।न कोई ऊंचा होता है और न ही कोई नीचा होता है।श्रीमती महिमा श्रीवास्तव ने बताया कि संत रविदास को कबीरदास का समकालीन और उनका गुरुभाई कहा जाता है।स्वयं कबीरदास ने उन्हें ‘संतन में रविदास’ कहकर संबोधित किया है।मान्यता है कि कृष्ण भक्त मीराबाई भी संत रविदास की शिष्या थीं।इतना ही नहीं,चित्तौड़ साम्राज्य के राजा राणा सांगा और उनकी पत्नी भी संत रविदास के विचारों से प्रभावित होकर उनके शिष्य बन गए थे संत ​रविदास के शिष्यों में हर जाति के लोग शामिल थे।आज भी वाराणसी में उनका भव्य मंदिर और मठ बना है.जहां देशभर से लोग उनके दर्शन करने के लिए आते हैं।संत शिरोमणि रविदास जयंती के अवसर पर प्रमुख रूप से इंचार्ज प्रधानाध्यापिका श्रीमती स्नेह प्रभा तिवारी,श्रीमती लक्ष्मी पोरवाल,श्रीमती बिंदु देवी,सुश्री ज्योत्सना सिंह,श्रीमती महिमा श्रीवास्तव,श्रीमती प्रेरणा इत्यादि लोग उपस्थित रही।फोटो*