मृत्युंजय विशारद देवरियादेवरिया31 जुलाई
पैना वासियों ने 31 मई 1857 को विद्रोह कर लगभग दो महीने तक क्षेत्र को स्वतंत्र घोषित कर रखा, नदी मार्ग से यात्रा कर रहे अनेक अंग्रेज अफसरों की हत्या कर सरयू नदी में अंग्रेजो की नाव डुबो दी थी।खजाने को लूट लिया गया।
इससे खार खाये, अंग्रेजो ने बड़ी ताकत के साथ, सेना, घुड़सवार, तोप खाना व पैदल सैनिकों ने कई तरफ से पैना गाँव पर 31 जुलाई 1857 को हमला कर 85 सेअधिक पैना वासी शहीद हो गए,200 से अधिक बच्चे बुजुर्ग गाँव के साथ जिंदा जला दिए गए, सैकड़ो की संख्या में राजपूत महिलाएं उफनती सरयू नदी में जल समाधि ले ली व बड़ी संख्या में सती हड़ा पर चिता जला कर सती हो गयी,,,,

शहीद स्थल पैना पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम को जिलाधिकारी देवरिया आशुतोष निरंजन ने सम्बोधित करते हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में पैना गाँव के 395 ज्ञात व बड़ी संख्या में अज्ञात शहीदों के प्रति श्रद्धाजंलि अर्पित की,
पुलिस अधिक्षक डॉ श्रीपति मिश्र ने अपने सम्बोधन में गाँव के रण बांकुरों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ उनके अपेक्षाओं के अनुरूप आचरण ब्यवहार व व स्थल पर पुष्पार्चन, दीप प्रज्ज्वलन , सरयू नदी में भी पुष्प व दीप अर्पित किया गया।
कार्यक्रम को डॉ दिनेश सिंह, डॉ बी के सिंह, हरि प्रसाद सिंह, केशव सिंह आदि ने सम्बोधित किया।
विद्यालय के बच्चों ने शहीदों के सम्मान में गीत प्रस्तुत किया।
सन्चालन डॉ पंकज शुक्ला ने किया।