✍️मथुरा
रिपोर्ट सत्येंद्र यादवबलदेव – भारतीय किसान यूनियन भानु के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने कैम्प कार्यालय बल्देव में वीर गोकुला को उनके 352 वे बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर प्रदेश महासचिव रामवीर सिंह तोमर ने कहा कि वीर गोकुल सिंह तिलपत गाँव के सरदार थे। वह औरंगजेब के खिलाफ सशस्त्र क्रांति करने वाले पहले वीर यौद्धा थे।उन्होंने किसानों को औरंगजेब के खिलाफ असहयोग नीति अपनाने को कहा व उनके एक आह्वाहन पर किसानों ने लगान बन्द कर दिया। धर्म व देश भक्ति उनकी रग रग में बसी हुई थी।
उन्होंने औरंगजेब के सबसे कट्टर फौजदार अब्दुन्नबी खान का वध किया व ब्रजवासियों के मन से मुगलिया सल्तनत का खौफ निकाला। इसके बाद हर जगह मुगलिया सरकार के कर्मचारियों को मार भगाना शुरू हुआ। औरंगजेब की सत्ता हिल गयी पूरे उत्तर भारत मे क्रांति की लहर दौड़ पड़ी। औरंगजेब ने उसे सन्धि का प्रस्ताव भेजा व जागीर का लालच दिया। लेकिन गौकुला ने साफ मना कर दिया और उस पर तंज कसते हुए कहा कि जो धर्म के पथ से हट जाए व असली यौद्धा नहीं होता। 10 मई 1666 को वीर गोकुला की अगुआई में जाटों व औरंगजेब की सेना में तिलपत में लड़ाई हुई। लड़ाई में गोकुला की विजय हुई। इस अपमान से औरंगजेब तिलमिला गया, और वीर गोकुला को दंडित करने के लिए बहुत शक्तिशाली सेना भेजी। वीर गोकुला को बंदी बना लिया गया और 1 जनवरी 1670 को आगरा के किले पर जनता को आतंकित करने के लिये टुकडे़-टुकड़े कर उनको मारा गया। वीर गोकुला के बलिदान से मुगल शासन के खातमें की शुरुआत हो गई थी। आज वीर गोकुला के बलिदान को याद किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। श्रद्धांजलि अर्पित करने बालों में गिर्राज फौजदार, गोपाल सिकरवार, भोला सिकरवार, हरिओम सिंह चौधरी , हाकिम सिंह सिकरवार, ओमप्रकाश सिंह , बंटी , अजयपाल सिंह चौधरी, बबलू , गुड्डा मास्टर, धर्मवीर सिंह भरंगर, पूरन पहलवान, खड़ग सिंह चौधरी, जयपाल चौधरी, रणजीत सिंह तोमर, वेदप्रकाश तोमर आदि कार्यकर्ता रहे ।