मथुरा
रिपोर्ट सत्येंद्र यादव
गोवर्धन से
मनोज शर्मा

गोवर्धन। सभी तीर्थों के वास राधाकुंड के जल और पंच गव्य से मंगलवार की भोर बेला में आश्विन चतुर्दशी की तिथि को गिरिराज जी का मंगलाभिषेक हुआ तो भक्ति की अनूठी धारा प्रवाहित हुई। ढाक-ढोल, घंटे-घड़ियालों की धुन पर गिरिराज जी का विश्व शांति एवं सुख-समृद्धि की कामना के लिए पांच जन्य दक्षिणावर्ती शंख से दुग्धाभिषेक किया गया। इस अवसर पर रघुनाथ दास गोस्वामी गद्दी राधाकुंड के गद्दीनशीन महंत केशव दास महाराज ने बताया कि पूरे विश्व जनमानस के कल्याणार्थ गिरिराज जी का अभिषेक किया है। प्रभु का गोविंदाभिषेक मनुष्य को आत्मिक, मानसिक शांति एवं शारीरिक शक्ति प्रदान करता है। महाभारत कालीन पांच जन्य दक्षिणावर्ती शंख जो कि सुख-समृद्धि और वीरता का प्रतीक है इसमें श्रीराधाकृष्ण की लीलाओं के साक्षी राधा-श्याम संगम कुंड का जल और पंचगव्य में गाय का दूध, घी, दही, शहद, बूरा आदि से मिश्रित सामग्री से प्रभु का अभिषेक किया गया है। प्रभु के अभिषेक के बाद अंग वस्त्र, चंदन व भोग लगाया गया। उन्होंने बताया कि गिरिराज प्रभु से आगामी एक माह के कार्तिक नियम सेवा पर्व के सकुशल संपन्न होने की प्रार्थना की गई है जिसमें लाखों श्रद्धालु पुण्य व मोक्ष की कामना से लीलाओें के दर्शन करने आते हैं। दानघाटी मंदिर के सेवाधिकारी मथुरा दास कौशिक लाला पंडित ने बताया कि कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी से गिरिराज प्रभु की कृपा से दूर हुई है। विश्व में सुख-शांति एवं समृद्धि के लिए कल्याण अभिषेक का आयोजन किया गया है। द्वापर युग में समस्त विश्व की रक्षा गिरिराज जी ने की है, यही सबके पालनहार हैं। सांयकालीन बेला में भजन संध्या का आयोजन किया गया। विशेष अभिषेक दर्शन के बाद सेवाधिकारी लाला पंडित व अन्य सेवायतों का स्मृति चिन्ह व ग्रंथ देकर स्वागत किया। इस अवसर पर सेवायत पवन कौशिक एड., कन्हैया शर्मा, पंकज शर्मा, राजकुमार शर्मा, कथा व्यास परीक्षित दास, छैलबिहारी दास आदि थे।