पत्र लेखन कला के प्रति छात्र छात्राओं को करें जागरुक – डॉ अरविन्द वर्मा, चेयरमैन

ANA/Indu Prabha

खगड़िया। पत्र लेखन कला की महत्ता आज भी बरक़रार है । बीते हुए कल की याद दिलाने वाला पत्र इतिहास बनाता है। पत्र अविस्मरणीय दस्तावेज है। इंसान इस धरती पर रहे या नहीं रहे उनके द्वारा लिखित पत्र वर्षों तक एक यादगार बना रहता है। उक्त बातें, विश्व डाक दिवस के अवसर पर पोस्टल सोसाइटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ अरविन्द जी रहे मीडिया से कही। आगे उन्होंने कहा इंटरनेट और डिजिटल युग में अधिकांश लोग पत्र लेखन कला को भूल गए हैं। मगर आज भी वे लोग अपने आपको खुश नसीब समझते हैं जिनके पास वर्षों पुराना पत्र (खत) दस्तावेज़ के तौर पर मौजूद है। दादा दादी, नाना नानी, माता पिता, यार, रिश्तेदारों द्वारा वर्षों पूर्व लिखे गए पत्र यादों को तरोताजा कर देता है। डॉ अरविन्द वर्मा ने अपने नाम 32 – 33 वर्षों पूर्व प्राप्त कुछ प्रमुख पत्रों को मीडिया के समक्ष प्रदर्शित किया, जिनमें प्रमुख हैं भारत सरकार, नई दिल्ली के केंद्रीय श्रम एवं कल्याण मंत्री राम विलास पासवान (15 मार्च 1990), बिहार सरकार के कृषि, लघु सिंचाई विभाग,पटना के मंत्री लहटन चौधरी (20 दिसंबर 1989), बिहार सरकार के हस्तकरघा एवं रेशम तथा पर्यटन विभाग, पटना के मंत्री अब्दुल रज्जाक अंसारी (02 जनवरी 1990), बिहार सरकार के पशुपालन एवं मत्स्य विभाग, पटना के मंत्री बिलट पासवान बिहंगम (10 जनवरी 1990) आदि। डॉ अरविन्द वर्मा ने देश की तमाम जनता खासकर नौजवानों से आग्रह किया कि आज के बच्चों को पत्र लेखन कला अपनाने की ओर आकर्षित करें और पत्र लेखन की महत्ता को अवश्य बताएं। डॉ वर्मा ने केन्द्र और राज्य सरकार से भी अपील किया कि पत्र लेखन कला के प्रति छात्र छात्राओं को समय समय पर जागरुक करें और पत्र लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन सरकारी स्तर पर कराएं।