✍️उमानाथ यादव

🟥रायबरेली- ,विश्व वन दिवस के अवसर पर डी. एल. एड.(बी टी सी)विभाग, बैसवारा एजुकेशन ट्रस्ट, लालगंज,के तत्वावधान में, ‘वन हैं तो जीवन है’- विषय पर एक सारगर्भित संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता करते हुए ट्रस्ट के प्रबंध मंत्री देवेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा,कि अमेजन, कांगो, मलेशिया ,इंडोनेशिया, और भारत के सदाबहार वन कटते जा रहे हैं, जो चिन्तनीय है, वनों के ह्रास तथा वन क्षेत्रों के भू उपयोग में परिवर्तन से लगभग एक तिहाई नई बीमारियां उभर कर मानवता के समक्ष संकट उत्पन्न कर रही हैं।मुख्य वक्ता पंचवटी विकास समिति के सचिव डॉ महादेव सिंह ने कहा कि,’वन जीवन का पर्याय हैं।वन हैं, तो ऑक्सिजन है, जल है, रोटी है, रोटी है तो जीवन है।’ विश्व के 1.6 अरब लोग प्रत्यक्ष रूप से वनों द्वारा जीविकोपार्जन करते हैं।प्रवक्ता नवमेश कुमार पांडेय ने बताया कि वनों से पोषण, आजीविका, जैव विविधता संरक्षण, ईंधन, दवाएं आदि प्राप्त होती हैं, अस्तु, वन ही जीवन के आधार हैं।प्रवक्ता आशीष प्रताप सिंह ने बताया कि भारत मे कुल वनआवरण लगभग8.1 करोड़ वर्ग किलोमीटर है,जिसे बढ़ाने की आवश्यकता है।अन्त में प्राचार्य एवं संगोष्ठी के संयोजक सुनील शुक्ल ने संगोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भूमध्य रेखीय सदा बहार वनों तथा भारत और इंडोनेशिया के पर्वतीय वनोपज को अग्नि से सुरक्षित रखने हेतु वैश्विक जन जागरण की आवश्यकता है।प्रवक्ता ज्योतिसिंह, अनामिका सिंह,कार्यालयाधीक्षक अंजू सिंह ने भी वन सम्वर्धन विषयक विचार व्यक्त किया।इस अवसर पर संस्थान केअन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।